भारत की बहुभाषिक डिजिटल क्रांति-भाषाई डिजिटल पुनर्जागरण:- मातृभाषा में डिजिटल अधिकार-तकनीक, संस्कृति और समावेशन का नया युग
भारत की बहुभाषिक डिजिटल क्रांति-भाषाई डिजिटल पुनर्जागरण:- मातृभाषा में डिजिटल अधिकार-तकनीक, संस्कृति और समावेशन का नया युग संवाद से समावेशन तक- संविधान में 22 भाषाओं को अनुसूचित किया गया है,जिन्हें सरकारी,शैक्षिक,न्याय- प्रक्रिया और सार्वजनिक संवाद की दृष्टि से विशेष संवैधानिक मान्यता है हर नागरिक को अपनी मातृभाषा में डिजिटल अधिकार, सेवाओं तक पहुँच और सूचना की स्वतंत्रता मिले,यही भारत के भाषाई डिजिटल पुनर्जागरण की असली नींव है -एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र गोंदिया - वैश्विक स्तरपर भारत दुनियाँ का सबसे बड़ा लोकतंत्र, सबसे युवा जनसंख्या और सबसे विविध भाषाई पहचान वाला देश हैँ, यहाँ भाषा सिर्फ बोलने का माध्यम नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति, परंपरा, ज्ञान और पहचान की जीवंत धरोहर है। भारतीयों के लिए भाषा आत्मा की आवाज़ है। भारत का भाषाई परिदृश्य दुनियाँ में सबसे अनूठा है, जहाँ 22 अनुसूचित भाषाएँ, 122 प्रमुख भाषाएँ और 19,500 + बोलियाँ बोली जाती हैं। इतने विशाल भाषाई विस्तार के साथ डिजिटल परिवर्तन को समावेशी बनाना एक बड़ी चुनौती और साथ ही एक विशाल अवसर है।भाषा केवल...