सुप्रीम कोर्ट और प्रदेश सरकार के आदेश की धज्जियां उड़ाता यह स्कूल.........
देखने में भोला है दिल का सालोना.........
इंदौर,जब सारी दुनिया लॉकडाउन में और कोरोना महामारी में त्राहि-त्राहि कर रही थी | तब ए.बी.एन स्कूल के प्रिंसिपल श्री हुसैन सेहर ( कॉचवाला ) और उनके अधीनस्थ समिति के सदस्य अभिभावकों पर फीस का दबाव बना रहे थे | 2 साल से मध्य प्रदेश के सभी स्कूलों में ऑनलाइन पद्धति से बच्चों को जैसे-तैसे पढ़ाया जा रहा था | सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी यह दिशानिर्देश तय किए गए के शासकीय और अशासकीय स्कूलों में कोरोना महामारी के चलते अभिभावकों से फीस नहीं वसूल सकते | लेकिन' ए .बी .एन' स्कूल छत्रीबाग इंदौर की कारगुजारी देखिए | एक प्रतिष्ठित समाज का स्कूल होते हुए भी समाज के लोगों पर कैसा दबाव बनाया गया ? फीस जमा करने के लिए स्कूल से ऑनलाइन मैसेज किया जाता रहा | ऐसा नहीं है कि अभिभावकों ने इसकी आपत्ति ना ली हो | लेकिन प्रिंसिपल यह कह कर पल्ला झाड़ लेते थे | कि यह काम ट्रस्ट के हाथों में है | अगर यह काम ट्रस्ट के सदस्यों के हाथों में है ,तो आप 8 सालों से इस स्कूल में क्या कर रहे हैं ? ऐसी क्या कमाई हो रही है जो आपको स्थानांतरित नहीं किया जा रहा ?प्रिंसिपल के ऊपर जो ओहदेदार हैं उनसे क्या सांठगांठ चल रही है ? सबसे प्रमुख बात यह है के सैयदना साहब के मार्गदर्शन में बोहरा समाज देश में ही नहीं पूरे विश्व में एक विकसित समाज के रूप में देखा जाता है | आप के दिशा निर्देश और फरमान के तहत एक एक मोमिन का ख्याल रखा जाता है | लॉकडाउन के चलते आपके फरमान मुताबिक हर मोमिन के घर अनाज, राशन, फल, सब्जियां वितरित की गई |यही नहीं अपलिफ्टमेंट योजना के तहत मोमिन को हर तरह की मदद की जाती है | लेकिन इन जैसे भ्रष्टाचारी हुक्मरानों की वजह से कौम को बदनाम होना पड़ता है | इन लोगों ने बहुत से अभिभावकों से फीस वसूली की है | यह कहते हुए कि आपके बच्चे को इम्तिहान में नहीं बैठने देंगे और ना ही दूसरी कक्षा में प्रवेश देंगे | इसके प्रमाण अभिभावकों से हमने एकत्रित किए हैं | सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के विपरीत इन लोगों ने जो फीस वसूली का काम किया है यह गैरकानूनी है | अभिभावकों में आक्रोश है की जिन्होंने फीस जमा की है | उसका बच्चा भी अगली कक्षा में है, और जिन्होंने फीस जमा नहीं की है उसका बच्चा भी उसी कक्षा में उपस्थित है | आखिर यह भेदभाव क्यों ? यह लूट की परंपरा क्यों ? मसाकीन और शिवालय के अभिभावकों ने तो यहां तक बोल दिया कि स्कूल में कार्यरत आमिर नाम का कर्मचारी विगत 5 वर्ष पूर्व मुर्तुजा देवास वाला के साथ सांठगांठ करके रमजान की नियाज का ₹2 लाख रुपए चंदा भी हजम कर गया | जबकि सूत्र बताते हैं कि समाज के प्रतिष्ठित एवं नामचीन व्यक्ति ने उस रमजान का पूरा खर्च उठाया था | एक शासकीय कर्मचारी भी सारी जिंदगी नौकरी करने के बाद बच्चों की शिक्षा शादी और मुसीबत से एक छोटा सा घर बना पाता है | जबकि बोहरा समाज में यह खासियत है की इनके प्रिंसिपल को रहने का घर, मुफ्त बिजली, मुफ्त खाना, यहां तक कि क्रोकरी भी मुफ्त दी जाती है | इनको समाज जनों की सेवा के लिए भेजा जाता है |लेकिन यह पद पर आसीन होने के बाद समाज जनों से सेवा लेने लगते हैं | 8 वर्षों की नौकरी में कार और संपत्ति कैसे बनाई जाती है | यह तो खुलासे से ही पता चलेगा |सुनने में यह भी आया है की ए .बी. एन स्कूल के प्रिंसिपल चेहरा देखकर तिलक करते हैं |इसलिए दीन और दुनिया दोनों के शिक्षक अपना मुंह नहीं खोलते | 5 / 5 हजार रुपए तनख्वाह में नौकरी देने वाले इन भ्रष्टाचारियों के भ्रष्टाचार के कई मामले हमारे पास आए हैं | हम प्रोविडेंट फंड की भी बारीकी से जांच कर रहे हैं | इन गैर जिम्मेदार लोगों से जिनकी भी सांठगांठ या लेनदेन जैसी बातें आएंगी अगली खबर में हम उनके नाम के साथ प्रकाशित करेंगे | अभिभावकों का कहना है कि हमारी दी हुई फीस वापस की जाए या इस सत्र में उसे सम्मिलित की जाए | हम प्रमुखता से शिक्षा विभाग को भी सूचित करेंगे | इन लोगों पर कार्यवाही होना जरूरी है | समाज के और भी स्कूल अलग-अलग क्षेत्र में संचालित है| हम अभिभावकों से और जानकारी एकत्रित कर रहे हैं | हम शासन को अवगत कराएंगे कि समाज जनों का शोषण किस तरह यह हुक्मरानों द्वारा किया जाता है | सैफी नगर मुख्यालय के मुख्य गुरु से भी हम अपेक्षा करते हैं कि इन पर शीघ्र कार्यवाही करें |ताकि समाज जनों में या अभिभावकों में जो असंतोष फैला है उसे दूर किया जा सके |
रिपोर्टर :- रणजीत मंडलोई
Mo. 9827206310/7000493011
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