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वीरान गांव को बोधवाड़ा धाम बनाने वाले संत श्री बालकानंद ब्रह्मचारी का निधन

 वीरान गांव को बोधवाड़ा धाम बनाने वाले संत श्री बालकानंद ब्रह्मचारी का निधन

नगर में निकली पालकी यात्रा जगह जगह ग्रामीणों ने अंतिम दर्शन कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए

24 वर्षो से बोधवाड़ा धाम में निवासरत थे वही दी समाधि 

सादलपुर। नगर स्थित श्री बोधवाड़ा धाम के महंत श्री बालकानंद ब्रह्मचारी का बुधवार को निधन हो गया वे लंबे समय से अस्वस्थ्य थे निधन का समाचार मिलते ही समूचे क्षेत्र में शोक की लहर छा गई गुरुवार को नगर में संत श्री के अंतिम दर्शन के लिए पालकी यात्रा निकाली गई। जिसमे नगर सहित कई जगहों से संत श्री के भक्त व मातृशक्ति सम्मलित हुई। ग्रामीणों द्वारा जगह जगह श्रद्धा सुमन अर्पित कर नम आँखों से श्रधांजलि दी।

विरान गाँवो को बोधवाड़ा धाम बनाया 

श्री बालकानंद ब्रह्मचारी श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के संत थे। वे सन 2000 में सादलपुर आये थे तब उन्होंने नगर में विशाल शतचंडी यज्ञ का ऐतिहासिक आयोजन करवाया जिसके बाद वे यही के होकर रह गए। सादलपुर के वीरान गांव बोधवाड़ा खुर्द को उन्होंने अपनी कर्म स्थली के रूप में चुना जहाँ श्री हनुमान जी का वीरान मंदिर था और यही एक छोटीसी कुटिया बना कर रहने लगे। कटीली झाड़ियों व सुनसान जंगल के इस स्थान को उन्होंने अपने परिश्रम व श्रद्धालुओं के सहयोग से विकसित करते हुए बोधवाड़ा धाम के रूप में विसकित करने में कोई कसर नही छोड़ी। कभी जहाँ लोग जाने में डरते थे वह स्थान अब बोधवाड़ा धाम के रूप में पहचान जाता है। जहाँ से धर्म कार्य को लेकर कई प्रकल्प चलाए जाते है। जिसमें यहाँ गौशाला का संचालन,प्रतिवर्ष श्री राम मारुति यज्ञ का आयोजन,श्री बलखण्डी महादेव कावड़ यात्रा,गुरुपूर्णिमा पर प्रतिवर्ष भण्डारा,अखण्ड रामायण पाठ सहित पर्यावरण संरक्षण को लेकर विशेष कार्य करवाए।

संत परम्परा के अनुसार दी समाधि

श्री बालकानंद ब्रह्मचारी जी को संत परम्परा के अनुसार बोधवाड़ा धाम में ही समाधि दी गई।इस दौरान पंच दशनाम जूना अखाड़ा के संत श्री मुनिश्वरानंद महाराज,नर्मदागिरी,उमेशगिरी जी नागा, ,अंबिकापूरी,ज्ञानपुरी,गोपालपुरी,गुरुपुरी महाराज के सानिध्य में समाधि लगवाई गई।श्रृद्धालुओं ने अंतिम यात्रा हेतु पालकी सजाकर रथ में विजमान किया ,पूरे क्षेत्र से सैकड़ों भक्तों एवं मातृ शक्ति ने उपस्थित रहते हुए गाजे-बाजे से बागेड़ी नदी की नवीन पुलिया से सादलपुर की प्रमुख गलियों में विशाल अंतिम यात्रा निकाली गई । जगह-जगह पूष्प वर्षा एवं माल्यार्पण किया गया। आतिशबाजी की गई। श्रृद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया जिसमें पं कपिल शर्मा केसुर, मालवा प्रांत गोसेवा प्रमुख डॉ.रामगोपाल वर्मा, पं हरिओम व्यास,पं कमल पंचोली, लोकेन्द्रसिंह चौहान, ने शब्दों के माध्यम से गुरू देव के आचार विचार सद्कर्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सम्पूर्ण क्षेत्र को अपूरणीय क्षति हुई है। संचालन करते हुए पतंजलि योग समिति जिला प्रभारी रामभरोसे वर्मा ने कहा कि ब्रह्मचारी जी ने योग एवं गिलोय के बल बूते पर टीबी जैसी महामारी पर विजय प्राप्त करने में सफलता हासिल की थी। बोधवाड़ा धाम गौशाला के अध्यक्ष घनश्याम चौहान, अर्जुन दरबार, हिंन्दु उत्सव समिति के ग्राम प्रभारी संजय सोलंकी सहित भक्त गणों ने समस्त जनता जनार्दन के प्रति आभार व्यक्त किया।

 संत श्री ब्रह्मचारी जी के अंतिम दर्शन व गुरुपूजन करते संत मंडली व श्रद्धालु।

संत परम्परा अनुसार समाधि लगाकर संत श्री को अंतिम विदाई देते ग्रामीण व संत समाज।

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