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टोक्यो में क्वाड विदेशमंत्रीय सम्मेलन का सफ़ल आगाज़

 टोक्यो में क्वाड विदेशमंत्रीय सम्मेलन का सफ़ल आगाज़ 



क्वाड एक बातचीत की दुकान नहीं,बल्कि व्यावहारिक परिणाम उत्पन्न करने का मंच है 

विश्व की भलाई करने की क्वाड की प्रतिबद्धता की गूंज दूर तक सुनाई देने का संकल्प सराहनीय -एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया 

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर दुनियां में अनेक समन विचारधारा साझा हित, विश्व कल्याण, मानवीय हित आपसी सहयोग, मजबूत राजनीतिक समझ, आर्थिक साझेदारी, प्रौद्योगिकी सहयोग से कुछ देश आपसी संगठन बनाकर मानवीय कल्याण में एक और एक ग्यारह बन जाते हैं तो,सभी सदस्य देशों को अपने-अपने स्तरपर इसका दूरगामी लाभ होता है। जैसे 27 देश कायूरोपीय संघ, 55 देश का अफ्रीकी संघ, 57 देश का इस्लामिक सहयोग संगठन, 7 देश का जी7, 21 देशों का जी2, 8 देश का शंघाई 

सहयोग संगठन, 10 देश का आसियान व चार देशों का क्वाड, सहित सारी दुनियां में अनेकों ऐसे संगठन हैं जो प्रतिवर्ष अपना शिखर सम्मेलन, बैठक आयोजित करते हैं।आज हम इस विषय पर बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि सोमवार 29 जुलाई 2024 को टोक्यो में देर शाम समाप्त भारत, ऑस्ट्रेलिया,अमेरिका व जापान इन चार देशों के बने हुए क्वाड संगठन के विदेश मंत्रियों का सम्मेलन टोक्यो में हुआ। बता दें कि क्वाड शिखर सम्मेलन 2024 को भारत में और 2025 को अमेरिका में होने वाला है। क्वाड उद्देश्यों को बनाए रखने के लिए शिखर सम्मेलन, चर्चाओं, खुफिया आदान-प्रदानों और सैन्य प्रशिक्षण अभ्यासन में सहित विशाल श्रृंखला के कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल रहते हैं।29 जुलाई2024 को सम्मेलन में भारतीय विदेशमंत्री ने कहादुनियां को जाए एक कड़ा मैसेज, उन्होंने कहा कि ये केवल एक ऐसा सहयोग है जो यह सुनिश्चित कर सकता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र मुक्त, खुला, स्थिर, सुरक्षित और समृद्ध बना रहे। वैश्विक सुरक्षा पर हम सभी ने जो प्रतिबद्धता जताई है, उसकी प्रतिध्वनि इस सीमा से भी आगे तक है। इसलिए ये जरूरी है कि राजनीतिक समझ को मजबूत किया जाए, आर्थिक साझेदारी को बढ़ाया जाए, प्रौद्योगिकी सहयोग को बढ़ाया जाए। हमारे लोगों के बीच सहजता को बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि दुनियां को ये कड़ा मैसेज जाना चाहिए कि यहां पर क्वाड है और अपना काम कर रहा है और मजबूती से आगे बढ़ रहा है।चूंकि विश्व की भलाई करने की क्वाड की प्रतिबद्धता की गूंज दूर तक सुनाई देने का संकल्प सराहनीय है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,टोक्यो में क्वाड विदेशमंत्रीयों के सम्मेलन का सफ़ल आगाज़। 

साथियों बात अगर हम क्वाड को समझने की करें तो,क्वाड यह दरअसल चार देशों का एक समूह है, जिसे हिंदी में (चतुर्भुज सुरक्षा संवाद और अंग्रेजी मेंक्वाडिलेट्रल सिक्योरिटी डायलॉग कहते हैं। इन 4 देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया,जापान और भारत शामिल हैं। ये देश क्वाड के उद्देश्यों को बनाए रखने के लिए शिखर सम्मेलनों,चर्चाओं, खुफिया आदान-प्रदान और सैन्य प्रशिक्षण अभ्यासों में सक्रिय रूप से शामिल रहते हैं। जापान की राजधानी टोक्यो में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों  की बैठक समाप्त हुईं।भारत की तरफ से विदेशमंत्री ने सोमवार को बैठकको संबोधित कियाजिसमें उन्होंने भारत की ताकत, उसकी क्षमता, उसके विज़न और उसके मिशन से अमेरिका को ही नहीं बल्कि पूरी दुनियां को रूबरू कराया। इस बैठक में क्वाड देशों के सदस्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलियाई के विदेश मंत्री भी मौजूद थे। उन्होंने दिखाया रास्ता, बोले क्वाड देशों में सहयोग से ही हिंद-प्रशांत में सुनिश्चित हो सकती है स्वतंत्रता और स्थिरता।

साथियों बात अगर हम सोमवार 29 जुलाई 2024 को क्वाड विदेश मंत्रियों के सम्मेलन के बाद साझा बयान की करें तो,बैठक में कई अहम मुद्दों पर हुई चर्चा इस बैठक में भारत के विदेश मंत्र अमेरिकी विदेश मंत्री जापानी विदेश मंत्री और ऑस्ट्रेलिया की ने हिस्सा लिया। वहीं एक संयुक्त बयान में, विदेश मंत्रियों ने कहा कि क्वाड हिंद और प्रशांत महासागरों में समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अनुरूप एक स्वतंत्र और खुली समुद्री व्यवस्था विकसित करने के लिए दृढ़ संकल्प है और यह इस उद्देश्य के लिए क्षेत्रीय भागीदारों के साथ सहयोग बढ़ाएगा।समुद्री डोमेन जागरूकता के लिए होगा विस्तार इस बैठक में कहा गया हैकि ऐसे प्रयासोंके अनुरूप,हम समुद्री डोमेनजागरूकता के लिए इंडो-पैसिफिक पार्टनरशिप को भौगोलिक रूप से हिंद महासागर क्षेत्र तक विस्तारित करने का इरादा रखते हैं। हम गुरुग्राम, भारत में सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र के माध्यम से दक्षिण एशिया कार्यक्रम के शीघ्र संचालन के लिए काम कर रहे हैं। इसके अलावा, हम क्षेत्रीय भागीदारों के साथ घनिष्ठ परामर्श में प्रभावी तकनीकी सहयोग को शामिल कर रहे हैं।भारतीय विदेश मंत्री ने इस दौरान बताया कि मॉरीशस में जल्द ही एक अंतरिक्ष-आधारित जलवायु चेतावनी प्रणाली शुरू की जाएगी। ऑफ-ग्रिड सौर परियोजनाएं वास्तव में इंडो पैसिफिक द्वीपों में हो रही हैं। इस मौके पर सीधे चीन का नाम लिए बिना, क्वाड विदेश मंत्रियों ने पूर्वी और दक्षिण चीन सागर की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की और किसी भी एकतरफा कार्रवाई जो बल या दबाव के द्वारा यथास्थिति को बदलने की कोशिश करती है उसके प्रति क्वाड के कड़े विरोध को दोहराया। 

साथियों बात अगर हम टोक्यो में क्वाड विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में भारतीय विदेश मंत्री के संबोधन की करें तो उन्होंने कहा क्वाड एक बातचीत की दुकान नहीं विदेश मंत्रियों ने कहा कि क्वाड एक विश्वसनीय, सुरक्षित और मजबूत दूरसंचार नेटवर्क के विकास को आगे बढ़ा रहा है और द्वीप राष्ट्र पलाऊ में ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क शुरू करने की योजना की घोषणा की उन्होंने कहा, आज क्वाड से निकली इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस पहल सूचना संलयन केंद्रों को जोड़ती है। ओपन आरएएन नेटवर्क, जिसके बारे में हमने बहुत बात की है,पलाऊ में तैनात किया जा रहा है।आधारित जलवायु चेतावनी प्रणाली भारतीय विदेशमंत्री ने इस दौरान बताया कि मॉरीशस में जल्द ही एक अंतरिक्ष आधारित जलवायु चेतावनी प्रणाली शुरू कीजाएगी। ऑफ-ग्रिड सौर परियोजनाएं वास्तव में इंडो पैसिफिक द्वीपों में हो रही हैं। इस मौके पर सीधे चीन का नाम लिए बिना, क्वाड विदेश मंत्रियों ने पूर्वी और दक्षिण चीन सागर की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की और किसी भी एकतरफा कार्रवाई जो बल या दबाव के द्वारा यथास्थिति को बदलने की कोशिश करती है उसके प्रति क्वाड के कड़े विरोध को दोहराया।उन्होंने आगे कहा कि हमारे लिए वैश्विक आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के साथ-साथ जोखिम को कम करना भी एक बड़ी चुनौती है। हमारी  सप्लाई चेन लचीलेपन के लिए विशेष तौर पर केंद्रित हैं। जैसे हमने भरोसेमंद और पारदर्शी डिजिटल साझेदारी पर जोर दिया, उससे प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भी असाधारण प्रचार-प्रसार हुआ। जिस तरह से हम रहते हैं, सोचते हैं और कार्य करते हैं, उसी तरह की संभावनाएं हमारे पास आज मौजूद हैं या यूं कहें कि हम दोबारा हो रहे वैश्वीकरण के बीच खड़े हैं। उन्होंने अमेरिका,जापान और ऑस्ट्रेलिया को एक मजबूत मैसेज भी दिया जिसमें क्वाड के अटल रहने, मजबूती से काम करने और आगे बढ़ते रहने का भाव था। उन्होंने कहा कि राजनीतिक लोकतंत्रों, बहुलवादी समाजों और बाज़ार की अर्थव्यवस्थाओं के रूप में हमारे पास महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियां भी हैं। हमारे पास शासन आधारित व्यवस्था को कायम रखने का बड़ा सवाल है। विदेश मंत्री ने क्वाड की इस बैठक में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आर्थिक, सुरक्षा और मानवीय मुद्दों पर आपसी समझ विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि टोक्यो में दोबारा मिलना बहुत अच्छा है। हमारी आखिरी क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक 10 महीने पहले न्यूयॉर्क में हुई थी। उस दौरान हम द्विपक्षीय रूप से या अन्य कार्यक्रमों के मौके पर एक-दूसरे से मिले हैं।हालांकि हमारे सिस्टम, हमारे शेरपाओं के नेतृत्व में, लगातार बातचीत कर रहे हैं। इसलिए आज बात करने, सहमत होने और आगे की योजना बनाने के लिए बहुत कुछ है।  उन्होंने भारत की ताकत, उसकी क्षमता, उसके विज़न और उसके मिशन से अमेरिका को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को रूबरू कराया। भारत के विदेशमंत्री ने सोमवार को कहा कि केवल 'क्वाड' देशों के बीच सहयोग ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र मुक्त, खुला, स्थिर और सुरक्षित बना रहे। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह समूह लंबे समय तक टिका रहेगा और मजबूत होता रहेगा। उन्होंने टोक्यो में 'क्वाड (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) उन्होंने कहा कि विश्व की भलाई करने की क्वाड की प्रतिबद्धता की गूंज इस क्षेत्र से कहीं अधिक दूर तक सुनाई देती है। उन्होंने  कहा,सिर्फ हमारे बीच सहयोग ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र मुक्त, खुला, स्थिर, सुरक्षित और समृद्ध बना रहे। उन्होंने ने कहा,इसलिए यह जरूरी है कि हमारी राजनीतिक समझ मजबूत हो, हमारी आर्थिक साझेदारी आगे बढ़े, हमारे बीच प्रौद्योगिकी सहयोग का विस्तार हो और हमारे लोगों के आपसी रिश्ते गहरे हों। हमारी बैठक से यह स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि क्वाड लंबे समय तक टिकने और आगे बढ़ने के लिए है। 

साथियों बात अगर हम क्वाड की स्थापना और अगले सम्मेलनों की करें तो,क्वाड में शामिल हैं ये देश भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने नवंबर 2017 में क्वाड की स्थापना की थी, ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए एक नई रणनीति विकसित की जा सके। दक्षिण चीन सागर हिंद और प्रशांत महासागरों के बीच स्थित है। चीन, दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा जताता है, जबकि फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी इस समुद्री क्षेत्र को अपना हिस्सा बताते हैं। विदेश मंत्रियों की बैठक में, यह घोषणा की गई कि भारत 2024 में अगली क्वाड शिखर बैठक की मेजबानी करेगा, और संयुक्त राज्य अमेरिका 2025 में अगली क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करेगा।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि टोक्यो में क्वाड विदेशमंत्रीय सम्मेलन का सफ़ल आगाज़। क्वाड एक बातचीत की दुकान नहीं,बल्कि व्यावहारिक परिणाम उत्पन्न करने का मंच है।विश्व की भलाई करने की क्वाड की प्रतिबद्धता की गूंज दूर तक सुनाई देने का संकल्प सराहनीय है। 

*-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*




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