रणजीत मंडलोई,बेटमा
धार। ग्राम लेबड़ में मातृशक्ति सेवा महिला मंडल एवं समस्त ग्रामवासी लेबड़ द्वारा आयोजित भागवत कथा सप्ताह का सुदामा चरित्र और राजा परीक्षित मोक्ष की कथा के वर्णन के साथ समापन किया गया।
व्यासपीठ से पंडित लोकेशानंद शास्त्री ने कहा कि एक बार राजा परीक्षित आखेट के लिए वन में गए। वन्य पशुओं के पीछे दौड़ने के कारण वे प्यास से व्याकुल हो गए तथा जलाशय की खोज में शमीक ऋषि के आश्रम पहुंच गए। उन्होंने सोचा कि मुझे वहीं पानी मिलेगा और सत्संग मिलेगा। इस आशा से राजा आश्रम पहुंचे किंतु वहां सन्नााटा छाया था।
राजा का स्वागत करने कोई नहीं आया। राजा आगे चलकर देखते हैं तो राजा ने प्रणाम किया लेकिन ऋषि ध्यानमग्न थे। वे राजा से कैसे बोलते। राजा को लगा कि आंख मूंदकर ध्यान का ढोंग कर रहे हैं। मेरा अपमान कर रहे हैं। यह सोचकर राजा क्रोधित हो गए। क्रोध में विवेक नष्ट हो गया। राजा को एक वृक्ष के नीचे एक मरा हुआ सर्प दिखाई दिया।
राजा ने मरे हुए सर्प को उठाया और आश्रम में लौटकर ऋषि के गले में डाल दिया। राजा को जाते हुए वहां से एक दो ऋषिकुमारों ने देख लिया। उन्होंने सारी बात ऋषि श्रृंगी को बताई। उन्होंने राजा परीक्षित को श्राप दे दिया कि ऐसे निराधम राजा की मृत्यु आज से सातवें दिन तक्षक नाग के काटने से होगी। राजा भयभीत हुआ। राजा गंगा तट पर रहने लगा। वहां व्यास पुत्र शुकदेव मुनि पहुंचे। उन्होंने भागवत कथा सुनाई। तभी से पुण्यपद सुनने का लाभ हम सभी को प्राप्त हो रहा है। राजा ने भी भागवत का आयोजन किया और मोक्ष को प्राप्त हुए। कथा सुनने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।
कथा व हवन के बाद शोभायात्रा निकाली गई जो कि कथा पंडाल से प्रारंभ होकर ग्राम के मंदिर दर्शन कर पुनः कथा पंडाल पहुंची।
यहां पर महाप्रसादी का वितरण किया गया।
निशुल्क दो जोड़ों का विवाह
मातृशक्ति सेवा महिला मंडल एवं समस्त ग्रामवासी लेबड़ द्वारा आयोजित भागवत कथा के समापन के साथ दो जोड़े का निशुल्क विवाह करवाया गया। इसमें समिति द्वारा कन्यादान किया गया।
Comments
Post a Comment