उज्जैन। श्रावण-भादौ मास में सोमवार को भगवान महाकाल की शाही सवारी निकली। मंदिर से शाम 4 बजे शाही ठाठ के साथ देशी-विदेशी फूलों से सजी रजत पालकी में सवार होकर अवंतिकानाथ नगर भ्रमण करने निकले। भक्तों को छह रूपों में भगवान महाकाल के दर्शन हुए।
त्रिलोकीनाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ पर शिव तांडव, नंदी पर उमा-महेश और रथ पर होलकर व सप्तध्ाान स्वरूप में सवार थे। राजा के इन दिव्य रूपों के दर्शन के लिए देशभर से आस्था का सैलाब उमड़ा।
दोपहर को सभामंडप में पुजारियों ने भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन किया। इसके बाद पालकी नगर भ्रमण के लिए रवाना हुई। शाम 5.15 बजे सवारी रामघाट पहुंची। यहां शिप्रा नदी के जल से महाकाल का अभिषेक किया गया। गोपाल मंदिर पर कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सवारी का पूजन किया। इसके बाद तय मार्ग से होती हुई पालकी रात को पुन: महाकाल मंदिर पहुंची।
सवारी एक नजर में
-6 किमी लंबा था सवारी मार्ग
-6 घंटे तक छाया रहा भक्ति का उल्लास
-2100 पुलिस जवानों ने संभाली व्यवस्था
-88 दल शामिल (भजन मंडली, झांझ-डमरू आदि)
महाकाल अवंतिका के राजा...देते हैं गार्ड ऑफ ऑनर
भगवान महाकाल यूं तो तीनों लोकों के नाथ हैं लेकिन लौकिक जगत में इन्हें अवंतिका का राजाध्ािराज माना जाता है। ऐसे में श्रावण-भादौ मास सहित अन्य सवारियों में भगवान नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं तो उन्हें सशस्त्र बल की टुकड़ी तीन स्थानों पर सलामी देती है। पहली बार जब बाबा की पालकी मंदिर से रवाना होती है, गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। इसके बाद रामघाट पर पूजन के समय तथा पालकी के मंदिर लौटने पर भी सलामी दी जाती है।
Comments
Post a Comment