Skip to main content

प्राइवेट फैमिली ट्रस्ट के द्वारा करें अपनी संपत्ति की सुरक्षा और उत्तराधिकार की व्यवस्था

 प्राइवेट फैमिली ट्रस्ट के द्वारा करें अपनी संपत्ति की सुरक्षा और उत्तराधिकार की व्यवस्था

संपत्ति की व्यवस्था एवम बंटवारे के लिए दो तरीक़ों का इस्तेमाल किया जाता है, एक वसीयत और दूसरा प्राइवेट ट्रस्ट. जहां ज़्यादातर लोग वसीयत से वाकिफ़ हैं, वहीं बहुत कम लोग ही प्राइवेट या फैमिली ट्रस्ट के बारे में जानते हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों में एंटरप्रेनरशिप की बढ़ती तादाद और परिवारों में संपत्ति के बढ़ते मसलों को देखते हुए फैमिली ट्रस्ट काफ़ी लोकप्रिय हो रहा है. क्या है ये ट्रस्ट और क्या हैं इसके फ़ायदे… आइए, जानते हैं.


*क्या है प्राइवेट फैमिली ट्रस्ट?*

परिवार के सदस्यों के हितों को ध्यान में रखते हुए उनके सुरक्षित भविष्य के लिए संपत्ति के बंटवारे का यह एक बेहतरीन तरीक़ा है. यह ख़ासतौर से

बिज़नेस से जुड़े परिवारों के लिए फ़ायदेमंद साबित होता है, क्योंकि वहां आय और व्यय के साधन कई और अलग-अलग लोगों में बंटे होते हैं.

- यहां आपको एक ट्रस्ट बनाना होता है, जिसमें आप अपने परिवार के सदस्यों के बीच संपत्ति का बंटवारा करते हैं.

- जब कोई व्यक्ति अपने जीवनकाल में ट्रस्ट बनाता है, तो उसे ‘लिविंग ट्रस्ट’ कहते हैं, जबकि वसीयत बनाकर बनाए गए ट्रस्ट को ‘टेस्टामेंट्री ट्रस्ट’ कहते हैं.

- संपत्ति का बंटवारा किस तरह होगा, यह ज़िम्मेदारी ट्रस्टी के हवाले होती है.


*कितने लोगों की ज़रूरत होती है?*

ट्रस्ट बनाने के लिए एक सेटलर होता है, जो ट्रस्ट बनाता है, एक ट्रस्टी होता है, जिसे ट्रस्ट का भार संभालने के लिए दिया जाता है और फिर होते हैं, बेनीफिशियरी या यूं कहें क़ानूनी वारिस.

कौन बना सकता है ट्रस्ट?

- कोई भी व्यक्ति जिसकी उम्र 18 साल या उससे अधिक हो.

- जो मानसिक रूप से स्थिर हो.

- उस पर किसी तरह की क़ानूनी बंदिश न हो.

उदाहरण के लिए वो दिवालिया या अपराधी व्यक्ति न हो.


*किसके लिए बनाएं ट्रस्ट?*

आमतौर पर फैमिली ट्रस्ट वर्तमान पीढ़ी व आनेवाली पीढ़ी की आर्थिक सुरक्षा के उद्देश्य से बनाया जाता है.

- आप इसे ख़ुद की टैक्स प्लानिंग के लिए बना सकते हैं.

- अपने बिज़नेस को सुचारू रूप से चलाने के लिए.

- अपने नाबालिग बच्चों की आर्थिक सुरक्षा के लिए.

- अपने किसी स्पेशल बच्चे के लिए, ताकि आपके न रहने पर कोई उसके साथ धोखा न कर सके.

- इसे आप अपने बुज़ुर्ग माता-पिता को आर्थिक सहयोग देने के लिए भी बना सकते हैं


*क्या हैं ट्रस्ट के फ़ायदे?*

- यह आपकी संपत्ति को लेनदारों से बचाता है. अगर आपको किसी को कर्ज़ चुकाना है, तो वो आपकी प्रॉपर्टी को क्लेम नहीं कर सकते, क्योंकि नियमानुसार ट्रस्ट की प्रॉपर्टी को ज़ब्त नहीं किया जा सकता.

- बच्चों के बालिग होने तक आप ट्रस्ट के ज़रिए संपत्ति को अपने अनुसार नियंत्रित कर सकते हैं. ट्रस्ट आपके बनाए नियमों के अनुसार काम करता है, इसलिए आपके बच्चों के भविष्य से कोई खिलवाड़ नहीं कर सकता.

- ख़ासतौर से स्पेशल बच्चे की सेहत, सुरक्षा और देखभाल के लिए होनेवाले ख़र्च को आप ट्रस्ट में सुरक्षित रख सकते हैं.

- फैमिली ट्रस्ट न केवल संपत्ति के बंटवारे के लिए उपयोगी है, बल्कि यह संपत्ति को संभालने के साथ ही सिक्योरिटीज़ में इंवेस्ट करता है, जिससे मिले रिटर्न्स को क़ानूनी वारिसों के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

- यह एक ऐसा साधन है, जिसका इस्तेमाल आप परिवार की महत्वपूर्ण ज़रूरतों, जैसे- शिक्षा, स्वास्थ्य, शादी या फिर ट्रैवेल के लिए कर सकते हैं. इन सभी ज़रूरतों के लिए आप ट्रस्ट में

अलग-अलग इंतज़ाम कर सकते हैं.

- आपको टैक्स में राहत भी मिलती है.

- परिवार के किसी सदस्य के तलाक़ या एलीमनी का भार पूरी संपत्ति पर न पड़े, इसलिए भी लोग ट्रस्ट बनाते हैं. एलीमनी या मेंटेनेंस के लिए इसे अन्य प्रॉपर्टी के साथ जोड़ा नहीं जा सकता.

- ट्रस्ट में पैरेंट्स बच्चों के लिए यह शर्त रख सकते हैं कि 25 साल के होने पर इसे फलां-फलां हिस्सा मिलेगा.

- ट्रस्ट फ्लेक्सिबल होता है यानी इसमें बाद में बदलाव किए जा सकते हैं, जैसे- अगर ट्रस्ट बनने के बाद आपने नई कार ख़रीदी, तो उसे भी आप ट्रस्ट का हिस्सा बना सकते हैं.

- ट्रस्ट का एक ़फ़ायदा यह भी है कि जो लोग अभी तक इस दुनिया में नहीं हैं या अस्तित्व में नहीं हैं, जैसे अजन्मा बच्चा या फिर होनेवाली पत्नी/पति आदि के लिए भी ट्रस्ट में हिस्सेदारी दी जा सकती है. उदाहरण के लिए कोई अपने ट्रस्ट में यह शर्त रख सकता है कि अगर उनका बड़ा बेटा शादी नहीं करेगा, तो उसका सारा हिस्सा छोटे बेटे की होनेवाली पत्नी को मिल जाएगा और अगर वो भी शादी नहीं करेगा, तो सब कुछ किसी चैरिटेबल ट्रस्ट को दान में चला जाएगा.

- नाबालिग बच्चों को मिलनेवाले फ़ायदे पर इन्कम टैक्स पर राहत मिलती है.


*ट्रस्ट और विल में क्या है अंतर?*

- सबसे बड़ा अंतर जो इन दोनों को अलग करता है, वो यह कि विल बनानेवाले की मृत्यु के बाद लागू होता है, जबकि ट्रस्ट उसके जीवनकाल में ही लागू हो जाता है.

- विल को कोई असंतुष्ट क़ानूनी वारिस कोर्ट में चैलेंज कर सकता है, जबकि ट्रस्ट में व्यक्ति के मौजूद रहने से किसी तरह की धोखाधड़ी की कोई कोशिश नहीं कर सकता.

- वसीयत में हर क़ानूनी वारिस को जो चीज़ें बंटवारे में मिली हैं, उन्हें सौंप दी जाती हैं, जबकि ट्रस्ट में सब कुछ ट्रस्ट के पास रहता है.

- वसीयत पर कोई उंगली न उठाए, इसलिए उसे कोर्ट से अथोराइज़ करवाना पड़ता है, जिसमें काफ़ी ख़र्च लगता है, जबकि ट्रस्ट में ऐसी कोई ज़रूरत नहीं होती.


*यूं बनाएं फैमिली ट्रस्ट*

- ट्रस्ट बनाने के लिए सबसे पहले ट्रस्टी किसे बनाएं यह निश्‍चित कर लें. आमतौर पर ट्रस्ट बनानेवाला ही ख़ुद को ट्रस्टी बनाता है या फिर परिवार के किसी सदस्य, दोस्त या रिश्तेदार को ट्रस्टी बनाया जा सकता है.

- ध्यान रहे कि ट्रस्ट बनानेवाला (सेटलर), ट्रस्टी और बेनीफिशियरी, तीनों एक ही व्यक्ति न हो, वरना ट्रस्ट अमान्य हो जाएगा.

- इसके बाद आपको एक ट्रस्ट डीड बनानी होगी, जिसमें सभी नियम व शर्तें, चल-अचल संपत्ति का ब्योरा, सभी बेनीफिशियरी में किस तरह संपत्ति का बंटवारा होगा आदि विस्तृत रूप से दिया होता है.

अगर ट्रस्ट में अचल संपत्ति है, तो इसे संबंधित अथॉरिटी के पास रजिस्टर कराना होगा.

- फैमिली ट्रस्ट बनाने में वसीयत से कम झंझट है, पर क्योंकि यह एक क़ानूनी प्रक्रिया है, तो आपको किसी वकील या चार्टेड अकाउंटेंट से सलाह लेनी चाहिए.


*जगदीश जोशी अभिभाषक*

*इंदौर*

Comments

Popular posts from this blog

"खिलता बचपन " पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और सम्मान समारोह

 "खिलता बचपन " पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और सम्मान समारोह  बेटमा - स्काॅय हाईट्स एकेडमी बेटमा विद्यालय का 18 वां वार्षिक स्नेह सम्मेलन खिलता बचपन सांस्कृतिक कार्यक्रमों, प्रतिभावान स्टूडेंट्स के  सम्मान के साथ मनाया गया । कार्यक्रम की शुरुआत आर्केस्ट्रा से हुई, जिसमें स्टूडेंट्स ने इंस्ट्रूमेंटल और वोकल म्यूजिक की प्रस्तुतियांँ दी।  शिव स्तुति सूर्यांश  शुक्ला द्वारा प्रस्तुत की गई। हमारे बाल कलाकार ने अपने खिलता बचपन में कभी माखन- चोर डांस तो कभी कार्टून शो कभी स्कूल चले का संदेश व मोबाइल  के दुरूपयोग से बचने का संदेश देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।  कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि C.M.O. नगर पंचायत सुश्री रंजना जी गोयल   एवं पार्षद समंदर सिंह जी चौहान का स्वागत विद्यालय की अध्यक्षा सुनीता शारदा और डायरेक्टर गिरधर शारदा एवं प्राचार्या माधवी वर्मा तथा प्री प्राईमरी इंचार्ज कोमल कौर अरोरा ने पुष्प गुच्छ भेंट कर किया।   विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट प्राचार्या द्वारा व्यक्त की गई। विद्यालय की अध्यक्षा ने स्वागत उद्बोधन व्यक्त किया ।...

स्काई हाइट्स अकैडमी में 76 वां गणतंत्र दिवस बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया गया।

स्काई हाइट्स अकैडमी में 76 वां गणतंत्र दिवस बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया गया।  " विद्यालय में 76 वाँ गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया " बेटमा - भारतीय लोकतंत्र के महापर्व की 76 वी वर्षगांठ पर स्काई हाइट्स अकैडमी विद्यालय परिवार की ओर से समस्त भारतवासियों, अभिभावकों और विद्यार्थियों को अनेकानेक शुभकामनाएंँ । इस पावन अवसर पर विद्यालय प्रांगण में सर्वप्रथम विद्यालय की अध्यक्षा सुनीता शारदा, डायरेक्टर , प्राचार्या, मुख्य अतिथि हर्षवर्धन त्रिपाठी, विशेष अतिथि ज्योति दवे, डाक्टर ॠतु शारदा व अन्नया शारदा की उपस्थिति में ध्वजारोहण कर तिरंगा को सलामी दी गई। तत् पश्चात हाउस के अनुसार परेड का शानदार प्रदर्शन किया गया। विद्यार्थियों द्वारा देशभक्ति गीत और नृत्य , पी.टी.और प्री-प्रायमरी के छात्रों द्वारा स्वतंत्रता सेनानी की भूमिका को फैंसी ड्रेस के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। प्राचार्या माधवी वर्मा ने गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि हमें स्वच्छ भारत अभियान में शामिल होकर अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखना है। डायरेक्टर गिरधर शारदा ने सम्बोधित करते हुए कहा कि मेरे विद्यालय स...

पुलिसकर्मी की सेवानिवृति पर अनोखी बिदाई

 पुलिसकर्मी की सेवानिवृति पर अनोखी बिदाई  घोड़ी पर बिठाकर बैंड बाजों के साथ दूल्हे की तरह निकाला बाना,मंत्री राजवर्धनसिंह दत्तीगांव भी हुए सम्मलित सादलपुर। थाना परिसर में बुधवार शाम को  एक अलग ही लम्हा देखने को मिला। जब यहां पदस्थ सहायक उप निरीक्षक यशपालसिंह चौहान मूल निवासी बेटमा रावला के सेवानिवृत्त होने पर  उनकी की बिदाई एक अलग ही अंदाज में दी गई। इस दौरान उन्हें घोड़ी पर बैठाकर बैंड बाजो के साथ जुलुस निकाला गया। सज धज कर घोड़ी पर बैठे सेवानिवृत पुलिसकर्मी जुलूस में शामिल ग्रामीणों का हुजूम और बैंड बाजे की धुन पर थिरकते लोग, आतिशबाजी को देख कई लोग अचरज में दिखाई दिए और इसे शादी का बाना समझने लगे। लोगों ने पलक पांवड़े बिछाकर श्री चौहान को बिदाई दी इस दौरान नागरिक अभिनंदन कर फूल मालाओं व साफे बंधवाकर शाल श्रीफल प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे नवागत टी आई बीसी तंवर का साफा बंधवाकर स्वागत किया गया। श्री चौहान का सादलपुर थाने पर 8 वर्षो का स्वर्णिम कार्यकाल रहा जिसके चलते यहां के लोगों से उनका सीधा जुड़ाव हो गया था।  जिसके चलते बडी स...