Skip to main content

अच्छी संगत व माहौल हमारी काबिलियत का लोहा मनवाने में मील का पत्थर साबित होगा

 अच्छी संगत व माहौल हमारी काबिलियत का लोहा मनवाने में मील का पत्थर साबित होगा 

आओ अच्छी संगत व माहौल में रहकर अपनें व्यक्तित्व को अपनी पहचान बनाकर इतिहास रचें


अच्छी संगत व माहौल हमारी सोच प्रवृत्ति व कुछ कर गुजरने का संकल्प दिलाता है-उम्र के हर स्तरपर अच्छे माहौल व संगत में रहना ज़रूरी- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

गोंदिया - हजारों वर्ष पुरानी भारतीय संस्कृति के बारे में कहा जाता है कि सृष्टि में मानवीय योनि की पहचान यहीं से हुई है, जो बंदरों से विकसित होते हुए मानवीय योनि तक विकसित हुई और बौद्धिक क्षमता का विकास होते गया, जिसकी भव्यता हम वर्तमान स्तर में देख रहे हैं कि मानवीय योनि ने दुनियाँ को कहां से कहां और कैसी डिजिटल स्थिति में पहुंचा दिया कि,साक्षात मानवीय आकृति रोबोट बना दिया जो पूरी तरह से मानवीय कार्य करने में सक्षम है, जो मानवीय बौद्धिक क्षमता का प्रमाण है। परंतु अगर हम इस तकनीकी प्रौद्योगिकी मेड मानव से हटकर सृष्टि रचयिता मानव में तकनीकी स्तरपर गुणों, व्यक्तित्व का विकास करने पर ध्यान दें तो हर मानवीय जीव अपने अपने स्तरपर एक अनोखा इतिहास रच सकते हैं, जिसके सहयोग से हम विश्व को कहां से कहां ले जा सकते हैं। चूंकि हम यहां मानवीय गुणों के विकास की बात कर रहे हैं तो सबसे महत्वपूर्ण गुण मानवीय व्यक्तित्व व उसकी संगत है क्योंकि मनुष्य जिसकी संगत में रहता है उसी के ही नक्शे कदम पर चलता है, किस हालत में कहां पैदा हुआ है उससे फर्क नहीं पड़ता,परंतु किस संगति में रह रहे हैं किन लोगों के साथ उठना बैठना बातचीत है, कैसे लोगों के माहौल में रह रहे हैं, यह हमारी सोच और सोचनें की प्रवृत्ति बनाते हैं,जो हमारी जिंदगी बनाने में महत्वपूर्ण रोल अदा करती है, इसलिए हमें गलत माहौल से निकाल कर अच्छे माहौल में रहने के सुझाव को रेखांकित करना होगा  जो हर मानव अपने आप में पहचानकर उसमें अपने आप को ढाले तो वह स्वयं इतिहास रच सकता है। इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,अच्छी संगत व माहौल हमारी काबिलियत का लोहा मनवाने में मील का पत्थर सटीक साबित होगा। 

साथियों बात अगर हम भारतीय संस्कृति में पले मानवीय जीव की करें तो मेरा मानना है कि सदियों से हर मानवीय जीव की अभिलाषा रहती है कि मेरे बच्चे इतनी ऊंची सकारात्मक तरक्की करें कि मैं अपने बच्चों के नाम से पहचाना जाऊं कि यह फ़लाने के पिता हैं! बिल्कुल सही बात! बस! इसके लिए हर व्यक्ति को चाहे वह मेल हो या फीमेल उसके संबंध में माता-पिता शिक्षक समाज सबका एक ही लक्ष्य होना चाहिए कि अपने बच्चों के व्यक्तित्व को निखारें उसके सही संगत में रहने का ध्यान रखेंक्योंकि हर बालक अनगढ़ पत्थर की तरह है जिसमें सुन्दर मूर्ति छिपी है, जिसे शिल्पी की आँख देख पाती है। वह उसे तराश कर सुन्दर मूर्ति में बदल सकता है। क्योंकि मूर्ति पहले से ही पत्थर में मौजूद होती है शिल्पी तो बस उस फालतू पत्थर को जिसमें मूर्ति ढकी होती है, एक तरफ कर देता है और सुन्दर मूर्ति प्रकट हो जाती हैमाता-पिता शिक्षक और समाज बालक को इसी प्रकार सँवार कर खूबसूरत व्यक्तित्व प्रदान करते हैं। एक अच्छे व्यक्तित्व निर्माण के मूल्यों के नियम बच्चों में रखना जरूरी है। इसलिए सबसे पहले बच्चों में या हमने खुद में समझदारी, धैर्य, उच्च विचार, गुस्से पर कंट्रोल सच्चाई पारदर्शिता को अपनाकर खुद को पहचाने जो बच्चे को अच्छे माहौल में रखकर प्राप्त किया जा सकता है। 

साथियों बात अगर हम अपने व्यक्तित्व की करें तो, हर मनुष्य का अपना-अपना व्यक्तित्व है। वही मनुष्य की पहचान है। कोटि-कोटि मनु्ष्यों की भीड़ में भी वह अपने निराले व्यक्तित्व के कारण पहचान लिया जाएगा। यही उसकी विशेषता है,यही उसका व्यक्तित्व है। प्रकृति का यह नियम है कि एक मनुष्य की आकृति दूसरेसे भिन्न है।आकृति का यह जन्मजात भेद आकृति तक ही सीमित नहीं है; उसके स्वभाव, संस्कार और उसकी प्रवृत्तियों में भी वही असमानता रहती है। व्यक्तित्व-विकास में वंशानुक्रम तथा परिवेश दो प्रधान तत्त्व हैं। वंशानुक्रम व्यक्ति को जन्मजात शक्तियाँ प्रदान करता है। परिवेश उसे इन शक्तियों को सिद्धि के लिए सुविधाएँ प्रदान करता है।बालक के व्यक्तित्व पर सामाजिक परिवेश प्रबल प्रभाव डालता है।ज्यों-ज्यों बालक विकसित होता जाता है, वह उस समाज या समुदाय की शैली को आत्मसात् कर लेता है, जिसमें वह बड़ा होता है और उस व्यक्ति के गुण ही व्यक्तित्व पर गहरी छाप छोड़ते हैं। 

साथियों सब बच्चे जुदा-जुदा परिस्थितियों में रहते हैं। उन परिस्थितियों के प्रति मनोभाव बनाने में भिन्न-भिन्न चरित्रों वाले माता-पिता से बहुत कुछ सीखते हैं। अपने अध्यापकों से या संगी-साथियों से भी सीखते हैं। किन्तु जो कुछ वे देखते हैं या सुनते हैं, सभी कुछ ग्रहण नहीं कर सकते। वह सब इतना परस्पर-विरोधी होता है कि उसे ग्रहण करना सम्भव नहीं होता। ग्रहण करने से पूर्व उन्हें चुनाव करना होता है। स्वयं निर्णय करना होता है कि कौन-से गुण ग्राह्य हैं और कौन-से त्याज्य। यही चुनाव का अधिकार बच्चे को भी आत्मनिर्णय का अधिकार देता है। प्रत्येक मनुष्य के मन में एक ही घटना के प्रति जुदा-जुदा प्रतिक्रिया होती है। एक ही साथ रहने वाले बहुत-से युवक एक-सी परिस्थितियों में से गुज़रते हैं, किन्तु उन परिस्थितियों को प्रत्येक युवक भिन्न दृष्टि से देखता है, उसके मन में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं होती है। यही प्रतिक्रियाएं हमें अपने जीवन का दृष्टिकोण बनाने में सहायक होती हैं।हम अपने मालिक आप हैं,अपना चरित्र स्वयं बनाते हैं। ऐसा न हो तो जीवन में संघर्ष ही न हो; परिस्थितियां स्वयं हमारे चरित्र को बना दें, हमारा जीवन कठपुतली की तरह बाह्य घटनाओं का गुलाम हो जाए। सौभाग्य से ऐसा नहीं है। मनुष्य स्वयं अपना स्वामी है। अपना चरित्र वह स्वयं बनाता है। चरित्र-निर्माण के लिए उसे परिस्थितियों को अनुकूल या सबल बनाने की नहीं बल्कि आत्मनिर्णय की शक्ति को प्रयोग में लाने की तात्कालिक आवश्यकता है। 

साथियों बात अगर हम व्यक्तित्व विकास में ख़ुद की पहल की करें तो, हमेशा अपने से स्वयं कहें ! मैं कर सकता हूं, ये मेरे लिए है। इससे जीवन में आगे बढ़ने का प्रोत्साहन मिलता है। साथ ही इससे आत्म सम्मान बढ़ता है और व्यक्तित्व में भी निखर आता है। अपने अन्दर अच्छा व्यक्तित्व विकास लाने का एक और सबसे बाड़ा कार्य है अपने विश्वदृष्टि में बदलाव लाना। दूसरों की बात को ध्यान से सुनें और अपने दिमाग के बल पर अपना सुझाव या उत्तर दें। अपने फैसलों को खुद के दम पर पूरा करें क्योंकि दूसरों के फैसलों पर चलनाया कदम उठान असफलता का कारण है। चाहें हमारी बातें हो या हमारे कार्य, सभी जगह सकारात्मक सोच का होना अच्छे व्यक्तित्व विकास के लिए बहुत आवश्यक है। हमारे सोचने का तरीका यह तय करता है कि हम अपना कार्य किस प्रकार और किस हद तक पूरा कर सकेंगे। सकारात्मक विचारों से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्तित्व को बढाता है।जीवन में कई प्रकार की ऊँची नीची परिस्तिथियाँ आती हैं परन्तु एक सकारात्मक सोच रखने वाला व्यक्ति हमेशा सही नज़र से सही रास्ते को देखता है। एक अच्छा श्रोता होना बहुत कठिन है लेकिन व्यक्तित्व विकास का एक अहम स्टेप है। जब भी कोई हमसे बात करे, ध्यान से उनकी बातों को सुनें और समझें और अपना पूरा ध्यान उनकी बातों पर रखें।

संगत कीजै साधु की,कभी न निष्फल होय।,लोहा पारस परसते,सो भी कंचन होय॥,कबीर संगत साधु की,जौ की भूसी खाय।,खीर खांड भोजन मिले,साकट संग न जाए॥,

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि, अच्छी संगत व माहौल हमारी काबिलियत का लोहा मनवाने में मील का पत्थर साबित होगा।आओ अच्छी संगत व माहौल में रहकर अपनें व्यक्तित्व को अपनी पहचान बनाकर इतिहास रचें।अच्छी संगत व माहौल हमारी सोच प्रवृत्ति व कुछ कर गुजरने का संकल्प दिलाता है-उम्र के हर स्तरपर अच्छे माहौल व संगत में रहना ज़रूरी है।


*-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9284141425*

Comments

Popular posts from this blog

"खिलता बचपन " पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और सम्मान समारोह

 "खिलता बचपन " पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और सम्मान समारोह  बेटमा - स्काॅय हाईट्स एकेडमी बेटमा विद्यालय का 18 वां वार्षिक स्नेह सम्मेलन खिलता बचपन सांस्कृतिक कार्यक्रमों, प्रतिभावान स्टूडेंट्स के  सम्मान के साथ मनाया गया । कार्यक्रम की शुरुआत आर्केस्ट्रा से हुई, जिसमें स्टूडेंट्स ने इंस्ट्रूमेंटल और वोकल म्यूजिक की प्रस्तुतियांँ दी।  शिव स्तुति सूर्यांश  शुक्ला द्वारा प्रस्तुत की गई। हमारे बाल कलाकार ने अपने खिलता बचपन में कभी माखन- चोर डांस तो कभी कार्टून शो कभी स्कूल चले का संदेश व मोबाइल  के दुरूपयोग से बचने का संदेश देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।  कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि C.M.O. नगर पंचायत सुश्री रंजना जी गोयल   एवं पार्षद समंदर सिंह जी चौहान का स्वागत विद्यालय की अध्यक्षा सुनीता शारदा और डायरेक्टर गिरधर शारदा एवं प्राचार्या माधवी वर्मा तथा प्री प्राईमरी इंचार्ज कोमल कौर अरोरा ने पुष्प गुच्छ भेंट कर किया।   विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट प्राचार्या द्वारा व्यक्त की गई। विद्यालय की अध्यक्षा ने स्वागत उद्बोधन व्यक्त किया ।...

स्काई हाइट्स अकैडमी में 76 वां गणतंत्र दिवस बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया गया।

स्काई हाइट्स अकैडमी में 76 वां गणतंत्र दिवस बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया गया।  " विद्यालय में 76 वाँ गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया " बेटमा - भारतीय लोकतंत्र के महापर्व की 76 वी वर्षगांठ पर स्काई हाइट्स अकैडमी विद्यालय परिवार की ओर से समस्त भारतवासियों, अभिभावकों और विद्यार्थियों को अनेकानेक शुभकामनाएंँ । इस पावन अवसर पर विद्यालय प्रांगण में सर्वप्रथम विद्यालय की अध्यक्षा सुनीता शारदा, डायरेक्टर , प्राचार्या, मुख्य अतिथि हर्षवर्धन त्रिपाठी, विशेष अतिथि ज्योति दवे, डाक्टर ॠतु शारदा व अन्नया शारदा की उपस्थिति में ध्वजारोहण कर तिरंगा को सलामी दी गई। तत् पश्चात हाउस के अनुसार परेड का शानदार प्रदर्शन किया गया। विद्यार्थियों द्वारा देशभक्ति गीत और नृत्य , पी.टी.और प्री-प्रायमरी के छात्रों द्वारा स्वतंत्रता सेनानी की भूमिका को फैंसी ड्रेस के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। प्राचार्या माधवी वर्मा ने गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि हमें स्वच्छ भारत अभियान में शामिल होकर अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखना है। डायरेक्टर गिरधर शारदा ने सम्बोधित करते हुए कहा कि मेरे विद्यालय स...

पुलिसकर्मी की सेवानिवृति पर अनोखी बिदाई

 पुलिसकर्मी की सेवानिवृति पर अनोखी बिदाई  घोड़ी पर बिठाकर बैंड बाजों के साथ दूल्हे की तरह निकाला बाना,मंत्री राजवर्धनसिंह दत्तीगांव भी हुए सम्मलित सादलपुर। थाना परिसर में बुधवार शाम को  एक अलग ही लम्हा देखने को मिला। जब यहां पदस्थ सहायक उप निरीक्षक यशपालसिंह चौहान मूल निवासी बेटमा रावला के सेवानिवृत्त होने पर  उनकी की बिदाई एक अलग ही अंदाज में दी गई। इस दौरान उन्हें घोड़ी पर बैठाकर बैंड बाजो के साथ जुलुस निकाला गया। सज धज कर घोड़ी पर बैठे सेवानिवृत पुलिसकर्मी जुलूस में शामिल ग्रामीणों का हुजूम और बैंड बाजे की धुन पर थिरकते लोग, आतिशबाजी को देख कई लोग अचरज में दिखाई दिए और इसे शादी का बाना समझने लगे। लोगों ने पलक पांवड़े बिछाकर श्री चौहान को बिदाई दी इस दौरान नागरिक अभिनंदन कर फूल मालाओं व साफे बंधवाकर शाल श्रीफल प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे नवागत टी आई बीसी तंवर का साफा बंधवाकर स्वागत किया गया। श्री चौहान का सादलपुर थाने पर 8 वर्षो का स्वर्णिम कार्यकाल रहा जिसके चलते यहां के लोगों से उनका सीधा जुड़ाव हो गया था।  जिसके चलते बडी स...