Skip to main content

बज़ट 2025 में नारी शक्ति को चिन्हित कर कार्यबल में भागीदारी की योजनाएं,स्कीम लाना समय की मांग

 बज़ट 2025 में नारी शक्ति को चिन्हित कर कार्यबल में भागीदारी की योजनाएं,स्कीम लाना समय की मांग

भारतीय कौशल नारी सब पर भारी-आओ नारी शक्ति को भारत की सफ़लता की गाथा बनाएं


नारी शक्ति को भारत के विकास के प्रमुख इंजन के रूप में चिन्हित करने की योजनाएं बनाना ज़रूरी - एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर भारतीय नारी की गाथा बहुत ही सम्मानजनक रूप से गाई जाती है, क्योंकि आदि अनादि काल से ही भारतीय नारी शक्ति की अनेक मान्यता प्राप्त कहानियों कथाओं से भी हमें पता चलता है कि नारी शक्ति की शक्ति तो देवी-देवताओं को भी करनी पड़ी थी, हम तो इस कलयुग में इंसान मात्र हैं। इसलिए हमें चाहिए कि नारी शक्ति का सम्मान कर उनको कार्यबल प्रदान करें जिसको भारत के विकास में प्रमुख इंजन के रूप में चिन्हित कर एक फ़रवरी 2025 को आने वाले बज़ट में ऐसी योजनाओं स्कीमों को लाया जाना चाहिए ताकि नारी शक्ति को कार्य बल में उचित भागीदारी मिले और भारत के तेज़ी से विकसित हो रहे पथ को अधिक तेजी से आगे बढ़ाया जा सके। 

साथियों बात अगर हाल ही में आई एक रिपोर्ट की करें तो सरकार ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। द नज इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस लक्ष्य को हासिल करने और भारतीय अर्थव्यवस्था में 14 लाख करोड़ रुपये का योगदान देने के लिए श्रमबल में 40 करोड़ अतिरिक्त महिलाएं जोड़नी होंगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2047 तक वर्तमान महिला श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) 37 प्रतिशत को लगभग दोगुना बढ़ाकर 70 प्रतिशत करने की जरूरत होगी। पिछले कुछ वर्षों के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) पर आधारित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने 2047 तक 30 लाख करोड़ रुपये की इकोनॉमी बनने का लक्ष्य रखा है।

साथियों बात अगर हम नारी शक्ति को कार्यबल के रूप में चिन्हित करने की करें तो, हमने कई क्षेत्रों में देखे हैं कि नारी कार्यबल अपेक्षाकृत रूप से अधिक सशक्त व प्रभावी रिजल्ट देता है। हम अगर नर नारी के कार्यबल की गुणवत्ता का विश्लेषण करें तो, मेरा मानना है कि नारी बल गुणवत्ता में अधिक कुशल दिखेगा। जिसका मैंने खुद ने ग्राउंड रिपोर्टिंग कर सत्यता परखी है। मैंने अनेक शोरूम ऑफिसेस दवाखाना वकील सीए अनेक प्रोफेशनल जगह कंपनियों में वहां के प्रमुख संचालकों, मैनेजरों अधिकृत व्यवस्थापकों से बात की तो उन्होंने भी नारी कार्यबल को अपेक्षाकृत अधिक सशक्त इमानदार रेगुलर जिम्मेदार ज़वाबदेही में अवल बताया और नारी कार्यबल को प्राथमिकता देने की बात स्वीकार की, क्योंकि नकारात्मक आदतें नारी कार्यबल में नहीं देखने को मिलती जितनी नर कार्यबल में देखने को मिलती है। उसी तरह नेतृत्व शक्ति में भी नारी कार्यबल अधिक उच्च गुणवत्ता में अग्रणी ही है इसका उदाहरण हमें वैश्विक स्तरपर मूल भारतीय महिलाओं कल्पना चावला कमला हैरिस सहित अनेकों का नाम लिया जा सकता है।

साथियों बात अगर हम 1 फ़रवरी 2025 को आने वाले बजट में नारी शक्ति कार्यबल के एंगल से देखें तो आज इसकी कार्य शक्ति बढ़ाने के लिए अधिक बजट एलोकेशन की आवश्यकता है। कुछ ऐसी योजनाएं, इंसेंटिव, छूट दी जानी चाहिए ताकि नारी कार्यबल को प्राथमिकता दिए जाने पर प्रोत्साहन मिले। वैसे भी हम अभी अनेकों निजी कंपनियों में देखते हैं कि वहां नारी कार्यबल को प्राथमिकता दी जाती है जो वर्तमान समय की जरूरत भी है  अब वक्त आ गया है कि नारी शक्ति के कार्य बल को बढ़ाने आरक्षण का बंधन भी तोड़ने की ज़रूरत है और उच्च कौशल्या के आधार पर नारी कार्यबल की सेवा राजनीतिक, औद्योगिक शैक्षणिक सहित हर क्षेत्र में ली जानी चाहिए। भारतीय कौशल नारी सबपर भारी की थींम को आगे बढ़ाया जाए।

साथियों बात अगर हम माननीय पीएम द्वारा अनेक स्थानों पर अनेक संबोधनों में उन्होंने भी,नारी शक्ति को भारत के विकास के प्रमुख इंजन के रूप में चिन्हित किया और कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को और सक्षम बनाने के साथ-साथ उसे बढ़ावा देने के लिए प्रयास जारी रखने का आग्रह किया, एक मीटिंग में  विचार-विमर्श वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच भारत का विकास और दृढ़ता विषय पर आधारित था। अपनी टिप्पणी में कहा कि, जहां जोखिम थे, वहीं उभरता हुआ वैश्विक वातावरण डिजिटलीकरण, ऊर्जा, स्वास्थ्य देखभाल और कृषि जैसे क्षेत्रों में नए और विविध अवसर प्रदान करता है। इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र को तालमेल का लाभ उठाने और लीक से हटकर सोचने की जरूरत है। उन्होंने भारत डिजिटल की सफलता की गाथा  और देश भर में फिनटेक को तेजी से अपनाने, और समावेशी विकास और इसके दृढ़ संकल्प की क्षमता की सराहना की। बैठक में प्रतिभागियों ने उन तरीकों पर व्यावहारिक उपायों की पेशकश की, जिनसे भारत अपने विकास की गति को विवेकपूर्ण ढंग से बनाए रख सकता है। कृषि से लेकर विनिर्माण तक विविध विषयों पर प्रधानमंत्री के साथ विचार और सुझाव साझा किए गए। यह स्वीकार करते हुए कि अंतर्निहित वैश्विक प्रतिकूलताएं जारी रहने की संभावना है, भारत की दृढ़ता को और मजबूत करने के लिए रणनीतिक सिफारिशें भी साझा की गईं। इस बात पर सहमति कायम हुई कि अपने लचीलेपन के कारण, भारत अशांत वैश्विक मंच पर एक उज्ज्वल स्थान बनाकर उभरा है। यह सुझाव दिया गया था कि सभी क्षेत्रों में समग्र विकास के माध्यम से इस नींव पर नए सिरे से विकास पर जोर देने की आवश्यकता होगी। हर नारी अपनी प्रतिभा के साथ न्याय कर पाये , अपने अरमानो को पंख लगाने का जज्बा रखे और उन्हें पूरा करने का होंसला रखे । किसी से कोई खैरात नहीं, कोई पक्षपात नहीं,अपने बलबूते पर मंज़िल हांसिल करने माद्दा रखे।

साथियों बात अगर हम बड़ी संख्या में अभी भी महिलाओं की वर्तमान स्थिति की करें तो, वर्तमान युग में महिलाओं को मात्र भोग विलास की वस्तु बना कर रख दिया गया है। जिसका मूल काम घर में रहकर चूल्हा चौका करना तथा परिवार की देखभाल करना रह गया है। आज के समय जहां विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है वहीं दूसरी तरफ महिलाओं का कुछ ऐसा वर्ग भी है जिन्हें उनके मूल अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है। इस कुप्रथा को दूर करने के लिए हर किसी को अपनी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है। जब तक हम अपनी मानसिकता को नहीं बदलकर स्त्रियों को साथ नहीं लेंगे तब तक राष्ट्र का सर्वांगीण विकास मुमकिन नहीं हो पाएगा।भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था क्योंकि उसके विकास में पुरुष तथा स्त्रियों का समान प्रयास हुआ करता था। लेकिन जैसे-जैसे स्त्रियों के विकास का अनुपात कम होता गया वैसे वैसे भारत का गौरव भी धूमिल पड़ता गया।भारतीय महिलाओं का इतिहास में योगदान अप्रतिम रहा है। सिर्फ स्वाधीनता संग्राम के समय को देखा जाए तो भारतीय महिलाओं का योगदान अगणनीय ही प्राप्त होगा। स्वाधीनता संग्राम के दौरान महारानी लक्ष्मीबाई, विजयालक्ष्मी पंडित, अरुणा आसफ अली, सरोजिनी नायडू, कमला नेहरु, सुचेता कृपलानी, मणीबेन पटेल अमृत कौर जैसी स्त्रियों ने आगे आकर अपना अप्रतिम योगदान दिया।

साथियों बात अगर हम महिलाओं में गॉड गिफ्टेड विशेषज्ञता की करें तो, भारतीय महिलाएँ ऊर्जावान, दूरदर्शी और सभी बाधाओं और चुनौतियों के बावजूद अपने जीवन में सफलता की नई ऊँचाइयों को छूने के लिए हमेशा जोश और प्रतिबद्धता से भरी रहती हैं! भारत के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के शब्दों में,हमारे लिए, महिलाएँ न केवल घर की अग्नि की देवी हैं, बल्कि आत्मा की ज्वाला भी हैं। महिलाएँ कभी हार न मानने वाली भावना का एक बेहतरीन उदाहरण हैं और अनादि काल से मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत रही हैं। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से लेकर भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले तक, महिलाओं ने समाज के लिए बड़े और बेहतर उदाहरण स्थापित करने के लिए इस अवसर पर आगे बढ़ने में अकथनीय दृढ़ संकल्प और भावना दिखाई है। हम 2030 तक पृथ्वी को रहने के लिए एक बेहतर स्थान बनाने के लिए सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए कार्रवाई के दशक में प्रवेश कर चुके हैं। लैंगिक समानता और सभी महिलाओं और लड़कियों का सशक्तीकरण भी प्रमुख एसडीजी में से एक है। सतत भविष्य के लिए जलवायु संकट प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण और सुरक्षा, और समावेशी आर्थिक और सामाजिक विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बहुत मायने रखती है, जिसमें समाज के कमजोर और हाशिए पर रहने वाले लोगों पर विशेष जोर दिया जाता है।जो बात उन्हें हमारे लिए असली रोल मॉडल बनाती है, वह यह है कि वे उत्कृष्टता, मान्यता और सम्मान प्राप्त करने के लिए अपने प्रयासों में सभी बाधाओं को पार कर जाती हैं। उनके जन्मजात नेतृत्व गुण उन्हें किसी भी समाज के लिए एक संपत्ति बनाते हैं। प्रसिद्ध अमेरिकी धार्मिक नेता ब्रिघम यंग ने सही कहा कि जब आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं, तो आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं। जब आप एक महिला को शिक्षित करते हैं, तो आप एक पीढ़ी को शिक्षित करते हैं। इसलिए, यह उचित है कि इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का विषय एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि बज़ट 2025 में नारी शक्ति को चिन्हित कर कार्यबल में भागीदारी की योजनाएं,स्कीम लाना समय की मांग।भारतीय कौशल नारी सब पर भारी-आओ नारी शक्ति को भारत की सफ़लता की गाथा बनाएं।नारी शक्ति को भारत के विकास के प्रमुख इंजन के रूप में चिन्हित करने की योजनाएं बनाना ज़रूरी है। 


*-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र*

Comments

Popular posts from this blog

पुलिसकर्मी की सेवानिवृति पर अनोखी बिदाई

 पुलिसकर्मी की सेवानिवृति पर अनोखी बिदाई  घोड़ी पर बिठाकर बैंड बाजों के साथ दूल्हे की तरह निकाला बाना,मंत्री राजवर्धनसिंह दत्तीगांव भी हुए सम्मलित सादलपुर। थाना परिसर में बुधवार शाम को  एक अलग ही लम्हा देखने को मिला। जब यहां पदस्थ सहायक उप निरीक्षक यशपालसिंह चौहान मूल निवासी बेटमा रावला के सेवानिवृत्त होने पर  उनकी की बिदाई एक अलग ही अंदाज में दी गई। इस दौरान उन्हें घोड़ी पर बैठाकर बैंड बाजो के साथ जुलुस निकाला गया। सज धज कर घोड़ी पर बैठे सेवानिवृत पुलिसकर्मी जुलूस में शामिल ग्रामीणों का हुजूम और बैंड बाजे की धुन पर थिरकते लोग, आतिशबाजी को देख कई लोग अचरज में दिखाई दिए और इसे शादी का बाना समझने लगे। लोगों ने पलक पांवड़े बिछाकर श्री चौहान को बिदाई दी इस दौरान नागरिक अभिनंदन कर फूल मालाओं व साफे बंधवाकर शाल श्रीफल प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे नवागत टी आई बीसी तंवर का साफा बंधवाकर स्वागत किया गया। श्री चौहान का सादलपुर थाने पर 8 वर्षो का स्वर्णिम कार्यकाल रहा जिसके चलते यहां के लोगों से उनका सीधा जुड़ाव हो गया था।  जिसके चलते बडी स...

"अनमोल रिश्ते" वार्षिकोत्सव में भावनात्मक रूप से रिश्तों का समझाया महत्व "।

"अनमोल रिश्ते" वार्षिकोत्सव में भावनात्मक रूप से रिश्तों का समझाया महत्व "। स्काय हाईट्स एकेडमी, बेटमा, विद्यालय परिसर में दिनांक 11 नवंबर 2022 को "अनमोल रिश्ते "वार्षिक उत्सव का आयोजन किया गया ।  जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्रीमान डॉ. अनिल शर्मा जी, उप- कुलसचिव श्रीमान प्रज्ज्वल जी खरे और बेटमा नगर पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मनीषा जी जायसवाल को आमंत्रित किया गया था । कार्यक्रम का आरंभ संगीत की सुरमय गोधूलि बेला के साथ किया गया था ।  विद्यार्थियों द्वारा संगीत की शानदार प्रस्तुति दी गई थी । तत्पश्चात अतिथियों के स्वागत हेतु स्वागत गीत, स्वागत नृत्य,गणेश वंदना की मनोहारी प्रस्तुतीकरण किया गया । मुख्य अतिथियों द्वारा माॅं सरस्वती की पूजा-अर्चना ,दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण  के द्वारा की गयी। मुख्य अतिथियों का स्वागत विद्यालय की अध्यक्ष महोदया सुनीता शारदा, डायरेक्टर गिरधर शारदा , प्राचार्य महोदया  माधवी वर्मा द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए हमारे विद्यालय के नन्हे-मुन्ने बाल कलाकारों द्वारा दा...

"खिलता बचपन " पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और सम्मान समारोह

 "खिलता बचपन " पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और सम्मान समारोह  बेटमा - स्काॅय हाईट्स एकेडमी बेटमा विद्यालय का 18 वां वार्षिक स्नेह सम्मेलन खिलता बचपन सांस्कृतिक कार्यक्रमों, प्रतिभावान स्टूडेंट्स के  सम्मान के साथ मनाया गया । कार्यक्रम की शुरुआत आर्केस्ट्रा से हुई, जिसमें स्टूडेंट्स ने इंस्ट्रूमेंटल और वोकल म्यूजिक की प्रस्तुतियांँ दी।  शिव स्तुति सूर्यांश  शुक्ला द्वारा प्रस्तुत की गई। हमारे बाल कलाकार ने अपने खिलता बचपन में कभी माखन- चोर डांस तो कभी कार्टून शो कभी स्कूल चले का संदेश व मोबाइल  के दुरूपयोग से बचने का संदेश देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।  कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि C.M.O. नगर पंचायत सुश्री रंजना जी गोयल   एवं पार्षद समंदर सिंह जी चौहान का स्वागत विद्यालय की अध्यक्षा सुनीता शारदा और डायरेक्टर गिरधर शारदा एवं प्राचार्या माधवी वर्मा तथा प्री प्राईमरी इंचार्ज कोमल कौर अरोरा ने पुष्प गुच्छ भेंट कर किया।   विद्यालय की वार्षिक रिपोर्ट प्राचार्या द्वारा व्यक्त की गई। विद्यालय की अध्यक्षा ने स्वागत उद्बोधन व्यक्त किया ।...