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सादा जीवन उच्च विचार, भारतीय संस्कृति की हमेशा से ही नींव रही है,

 सादा जीवन उच्च विचार, भारतीय संस्कृति की हमेशा से ही नींव रही है,

सादा जीवन उच्च विचार सहज, सरल जीवन की कुंजी है


सादगी से व्यक्ति के कार्यों में गुणवत्ता,चेतना आती है - दृष्टिकोण में स्पष्टता, इच्छाओं का सही प्रबंधन कर संतुष्टि से खुशियों के द्वार खुलते हैं- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 

गोंदिया - कुदरत द्वारा रचित सृष्टि  की 84 लाख़ योनियों में सबसे अनमोल बौद्धिक क्षमता का अभूतपूर्व ख़जाना धारे मानवीय योनिं नें सृष्टि में अभूतपूर्व बौद्धिक क्षमता का प्रयोग कर इस सृष्टि को कहां से कहां पहुंचा दिया है। सूर्य, चंद्रमा, अग्नि, बारिश जैसे प्राकृतिक और कुदरती रचनाओं को भी आर्टिफिशियल बना दिया है,इतना ही नहीं एक आर्टिफिशियल रोबोट मानव भी बना दिया है बस अब एक कमीं रह गई है जो मानवीय मृत शरीर में जान फुकना और आर्टिफिशियल प्राकृतिक बच्चे प्रौद्योगिकी की तकनीकी पर बनाकर उसमें जान फ़ूककर जन्म देना रह गया है, जो मेरा मानना है कि मानवीय जीव यह कभी नहीं कर सकेगा।धन, माया, नाम शोहरत की खातिर मानव ने अपने चोबीस घंटे उसमें लगा दिए हैं जिसमें अपने जीवन को भारी तनावग्रस्त के समंदर में झोंक दिया है परंतु संतुष्टि फिर भी नहीं मिलेगी क्योंकि यह मार्ग ऐसा है कि इस पथ पर फिसलता ही चला जाता है और अंतिम लम्हों में सादा और सहज जीवन जीने की याद आती है तबतक सब कुछ निकल चुका होता है।

साथियों बात अगर हम मानवीय जीव की अभूतपूर्व प्रगति की करें तो इस विचारधारा ने अनेक सुख सुविधाओं के साथ दुख़, तकलीफों को भी जन्म दिया है जिसका जीता जागता उदाहरण है वर्तमान जलवायु परिवर्तन से होने वाली विनाशकारी तबाही, जिसके पीड़ित मानव के हृदय में यही बात आती है कि हमने प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया है अब प्रकृति हमारे साथ खिलवाड़ कर रही है,और मानसिक विचारधारा सादा जीवन उच्च विचार की ओर लौटने की सोच को रेखांकित करती है।

साथियों बात अगर हम सादा जीवन उच्च विचार की करें तो यह सहज सरल जीवन की कुंजी है। सादगी से व्यक्ति के कार्यों में गुणवत्ता, चेतना आती है। दृष्टिकोण में स्पष्टता, इच्छाओं का सही प्रबंधन कर संतुष्टि से खुशियों के द्वार खुलते हैं। मानव में दयालुता, सुविचार, मानवता, नम्रता झलकती है ऐसे मानवके समीप विक्कार जैसे द्वेष, अभिमान  अहम, अहंकार जैसे अनेक विकारों को भी आने से डर लगता है क्योंकि यह रेखांकित करने वाली बात है कि जहां सादा जीवन रहेगा वहीं उच्च विचारों, गुणवत्ता, चेतना, संतुष्टि का निवास हो जाता है और जीवन सहज, सरलता खुशियों से लबालब हो जाता है।

साथियों बात अगर हम सादा जीवन उच्च विचार के अर्थ को समझने की करें तो,सादा जीवन का अर्थहै अपनी सीमित आवश्यकताओं के अनुसार, न कि अपने असीमित लालच के अनुसार। सारा तनाव और तनाव इस सूत्र का पालन न करने का परिणाम है।आध्यात्मिक जीवन सादा जीवन उच्च विचार के अलावा और कुछ नहीं है। भगवत गीता कहती है कि सादा जीवन और उच्च विचार ही आर्थिक समस्याओं का समाधान है। जो व्यक्ति सादा जीवन जीने में विश्वास रखता है, वह न तो अपने लिए और न ही दूसरों के लिए समस्याएँ खड़ी करता है। जो व्यक्ति उच्च विचारों में लीन रहता है, वह वास्तव में निस्वार्थ व्यक्ति बन जाता है।

साथियों बात अगर हम सहज, सरल जीवन की करें तो बड़े -बुजुर्गों के मुंह से सुनते आए हैं- जीवन में शांति ज़रूरी है और शांति से रहना अपने हाथ में है। शांति तभी मिल सकती है, जब जीवन सरल हो। कन्फ्यूशियस का कथन है- जीवन बेहद सरल है लेकिन हम उसे जटिल बनाने पर आमादा रहते हैं। भारतीय संस्कृति में तो वैसे भी हमेशा से सादा जीवन उच्च विचारों को अहमियत दी गई है। यूं भी कोई अस्त-व्यस्त, भ्रमित, दुविधाग्रस्त और दबाव में नहीं रहना चाहता। भीड़ चाहे लोगों की हो या वस्तुओं की, इच्छाओं की हो या अपेक्षाओं की, व्यक्ति की एकाग्रता को भंग करती है और उसे जीवन के अधिक महत्वपूर्ण कार्यों के प्रति उदासीन बनाती है। भीड़ में खुद को गुम होने से बचाने का प्रयास ही सहज-सरल जीवन की कुंजी है।

साथियों बात अगर हम सादगी की करें तो, सादगी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि व्यक्ति के कार्यों में गुणवत्ता आती है। जैसे ही उसके भीतर यह चेतना आती है कि जीवन में क्या और क्यों महत्वपूर्ण है, वह इच्छाओं का सही प्रबंधन करने लगता है। इससे दुविधाएं कम होती हैं और दृष्टिकोण में स्पष्टता आती है। समय-समय पर अपनी जरूरतों और इच्छाओं का आकलन करना जरूरी है। कई बार ऐसा भी होता है कि जिस चीज से आज सुविधा महसूस होती है, वही भविष्य में असुविधा का कारण बन जाती है। हो सकता है, बड़ा घर लेना आज किसी की ख्वाहिश हो मगर उम्र बढऩे के साथ यही घर असुविधाजनक हो सकता है क्योंकि वह इसका रखरखाव अच्छी तरह करने में असमर्थ होता है।

साथियों बात अगर हम सादा जीवन उच्च विचार की करें तो, यह कहावत हमें सिखाती है कि हम अपने जीवन को और भी मूल्यवान बना सकते हैं सिर्फ व्यर्थ के धन और सामान आदि चीजों को नजरंदाज करके। ये हमें सच्ची ख़ुशी और आतंरिक संतुष्टि प्रदान करता है।ये यह भी बताता है कि सच्ची ख़ुशी हमारे विचारों में ही होती है ना कि किसी और चीजों में। ये हमें प्रेरित करती है कि हम अपनी जड़ों को पहचाने और किसी भी तरह के समृद्धि पाने वाले कार्य को नजर अंदाज करें। जीवन का सही मूल्य हमारे भौतिकवादी अधिग्रहण में नहीं है, बल्कि यह वह है जिसमें हम सोचते हैं, करते हैं, और प्रतिदिन हम कितने जीवन को छूते हैं।सादा जीवन उच्च विचार' यह कहावत हमें इस बात के लिए प्रोत्साहित करती है कि हम अपने जीवन को समृद्ध के बजाय अधिक सार्थक बनायें। यहाँ जीने के साधारण तरीके से मतलब है जीवन जीने का एक सरल और गैर-महंगा मानक। हमें केवल सिर्फ उन चीजों के लिए ही चिंता करनी चाहिए जो हमारे जीवन के लिए बेहद आवश्यक है। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सादा जीवन उच्च विचार भारतीय संस्कृति की हमेशा से ही नींव रही है।सादा जीवन उच्च विचार सहज सरल जीवन की कुंजी है।सादगी से व्यक्ति के कार्यों में गुणवत्ता,चेतना आती है।दृष्टिकोण में स्पष्टता, इच्छाओं का सही प्रबंधन कर संतुष्टि से खुशियों के द्वार खुलते हैं।


*-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र*

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