वैश्विक जगत का मुखिया बनने की चीन की चाहत- अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन की स्थापना- 50 देशों के साथ 20 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से 400 प्रतिनिधि शामिल
वैश्विक जगत का मुखिया बनने की चीन की चाहत- अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन की स्थापना- 50 देशों के साथ 20 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से 400 प्रतिनिधि शामिल
ग्लोबल साउथ का लीङर बनने की फिराक में चीन -संयुक्त राष्ट्र व अमेरिका को चुनौती देने के मूड में चीन
चीन अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने के बजाय पहले भारत फिलिपींस वियतनाम सहित अनेको पड़ोसियों से सीमा विवाद सुलझाए तो बेहतर होगा- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर दुनियाँ क़े हर देश क़ा हर बड़े से छोटा संगठन, पार्टी, मंच, समिति,मंडल,फाउंडेशन सहित संसद से लेकर पंचायत समिति तक व छोटे से लेकर बड़ी सामाजिक राजनीतिक धार्मिक कमेटी से लेकर व एकल व्यक्ति से लेकर समूह में शामिल हर व्यक्ति, अपने ग्रुप का लीडर या मुखिया बनना चाहता है, उसकी चाहना होती है कि मैं अपनें ग्रुप का नेतृत्व करूँ! यह मैं का भाव बहुत विघटनक़ारी होता है, जो असल में मजबूर हो जाता है,वह तिकड़मबाजी कर किसी न किसी रूप में अपने को मुखिया बनाने की कोशिश करता रहता है। बड़े बुजुर्गों का कहना बिल्कुल सटीक है कि गुलाब की खुशबू छुपाए नहीं छुपती,यानें जिसमें ज्ञान क्षमता व काबिलियत है वह निखरती हुई अपने आप पंख लगाकर उस व्यक्ति को सामने लाती है, जैसे हमने देखा है कि कई राज्यों में ऐसे व्यक्तियों को मुख्यमंत्री बनाया गया है जिनका दूर-दूर तक कोई नाम नहीं था। आज हम इस नेतृत्व विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि दिनांक 30 मई 2025 को देर शाम पूरे अर्धरात्रि तक मीडिया जगत में चर्चा छाई रहीकि चीन ने एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन बनाया है जिसमें करीब 85 देश व 20 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों सहित 400 प्रतिनिधि शामिल हुए, जिसके चार्ट में 33 देशों ने एट द टाइम साइन भी किया, जिसमें बेलारूस पाकिस्तान व इंडोनेशिया सहित अनेक देश शामिल हैं।चूँकि चीन लंबे समय से ग्लोबल साउथ का लीडर बनकर संयुक्त राष्ट्र व अमेरिका को चुनौती देने के मूड में है, वअंतर्राष्ट्रीय विवाद सुलझाने के लिए यूएन,अमेरिका व अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के समकक्ष्ट बनने की चाहना रखता है, हालांकि वह खुद सीमा विवाद में भारत फिलिपींस वियतनाम सहित अनेक देशों से उलझा हुआ है,व सुलझा नहीं पा रहा है और इधर चला मुरारी हीरो बनने! इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, वैश्विक जगत का मुखिया बनने की चीन की चाहत, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन की स्थापना, 85 देश के साथ 20 अंतरराष्ट्रीय संगठनों सहित 400 प्रतिनिधि शामिल।
साथियों बात अगर हम चीन द्वारा अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन के स्थापना को समझने की करेंतो,चीन ग्लोबल साउथ का लीडर बनने की चाह रखता है। लिहाजा उसने खुद इस नये संगठन को बनाया है। ग्लोबल साउथ शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।चीनी विदेश मंत्री ने एक समारोह में कहा कि चीन लंबे समय से आपसी समझ की भावना से मतभेदों को निपटाने और बातचीत के माध्यम से आम सहमति बनाने की वकालत करता रहा है, साथ ही उसका लक्ष्य राष्ट्रों के बीच संघर्षों को सुलझाने के लिएचीनी प्रज्ञता प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि हांगकांग में मुख्यालय वाले इस निकाय का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान को बढ़ावा देना तथा अधिक सामंजस्यपूर्ण वैश्विक संबंध बनाना है। चीन ने 30 से ज्यादा देशों के साथ मिलकर नया वैश्विक मध्यस्थता समूह बनाया है। इस समूह में पाकिस्तान, इंडोनेशिया, बेलारूस और क्यूबा समेत कई देश शामिल हुए हैं। माना जा रहा है कि चीन ने संयुक्त राष्ट्र को सीधी टक्कर देने के लिए यह वैश्विक मंच बनाया है। चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक हांगकांग में शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन (आईओएमईडी) की स्थापना पर एक सम्मेलन का आयोजन हुआ। इसमें एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और यूरोप के 85 देशों के साथ लगभग 20 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लगभग 400 उच्च-स्तरीय प्रतिनिधियों ने शिरकत की।
साथियों बात अगर हम चीनद्वारा संयुक्त राष्ट्र अमेरिका को चुनौती देकर मुखिया बनने की चाहत की करें तो.. दुनियाँ की अलग-अलग विचारधारा में चल रही जंग के बीच संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को लेकर गहराई से कुछ ठोस सवाल उठ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के कई मोर्चे असफल रहे हैं और विशेषज्ञ लंबे समय से अपने स्नातक और कार्यशैली में बदलाव की मांग भी कर रहे हैं। इस बीच चीन ने संयुक्त राष्ट्र को अप्रत्यक्ष चुनौती देते हुए एक नया मंच तैयार किया है। हाल ही में चीन ने दुनियाँ के कई बड़े देशों के साथ मिलकर नया ग्लोबल वॉल ग्रुप बनाया है।बीजिंग ने इस संगठन को मध्यस्थता के माध्यम से विवादों को सुलझाने वाला दुनियाँ का पहला अंतर-सरकारी कानूनी संगठन बताया है, और कहा है कि यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण तंत्र होगा। इसने हांगकांग को एशिया में एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी और विवाद समाधान सेवा केंद्र के रूप में भी स्थापित किया। हांगकांग के नेता ने कहा कि संगठन इस साल के अंत तक अपना काम शुरू कर सकता है। समारोह में संयुक्त राष्ट्र सहित लगभग 85 अन्य देशों और लगभग 20 संगठ नों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।अमेरिका को टक्कर देने के इरादे से चीन ने एक नया संगठन बनाया है। चीन की इस कवायद में शुक्रवार को 30 से अधिक देश ऑन द स्पॉट शामिल हुए। चीन के विदेश मंत्री के बाद, पाक और इंडोनेशिया से लेकर बेलारूस और क्यूबा तक के 30 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने हांगकांग में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन की स्थापना संधि पर हस्ताक्षर किए, जिससे वे इस वैश्विक संगठन के संस्थापक सदस्य बन गए। विकासशील देशों का यह समर्थन उस वक्त ‘ग्लोबल साउथ’ में चीन के बढ़ते प्रभाव का संकेत देता है, जब भू-राजनीतिक तनाव अपने चरम परहैं और इनमें आंशिक रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए व्यापार शुल्कने भी अहम भूमिका निभाईहै।अमेरिका को टक्कर देने के इरादे से चीन ने एक नया संगठन बनाया है। विकासशील देशों का यह समर्थन उस वक्त ‘ग्लोबल साउथ’ में चीन के बढ़ते प्रभाव का संकेत देता है, जब भू-राजनीतिक तनाव अपने चरम पर हैं — और इनमें आंशिक रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए व्यापार शुल्क ने भी सबसे अहम भूमिका निभाई है।
साथियों बात अगर हम चीन के दाँव व उसे काउंटर करने की करें तो, बीजिंग ने इस संगठन को मध्यस्थता के माध्यम से विवादों को सुलझाने वाला दुनियाँ का पहला अंतर-सरकारी कानूनी संगठन बताया है और कहा है कि यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण तंत्र होगा। इसने हांगकांग को एशिया में एक अंतरराष्ट्रीय कानूनी और विवाद समाधान सेवा केंद्र के रूप में भी स्थापित किया। हांगकांग के नेता ने कहा कि संगठन इस साल के अंत तक अपना काम शुरू कर सकता है। समारोह में संयुक्त राष्ट्र सहित लगभग 50 अन्य देशों और लगभग 20 संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।इस दौरान चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि चीन लंबे समय से सैद्धांतिक समझ की भावनाओं से विश्वासों को जोड़ने और बातचीत के माध्यम से आम सहमति बनाने की मंशा रखता है। उन्होंने यह भी कहा कि चीन के लक्ष्य राष्ट्रों के बीच संघर्षों को रोकने के लिए चीनी प्रजाता प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा है कि इस निकाय का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों के साथ पूर्ण समाधान को बढ़ावा देना और अधिक मात्रा में वैश्विक संबंध बनाना है।बीजिंग ने इस संगठन को और नामांकितों के माध्यम से संगीत वाला दुनियाँ का पहला अंतर-सरकारी कानूनी संगठन बताया है जिसमें कहा गया है कि यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण तंत्र होगा। वहीं हांगकांग के नेता ने कहा है कि ऑर्गनाइजेशन इस साल के अंत तक अपना काम शुरू कर सकता है। चीन के इस नए संगठन और दुनिया के झगड़ों में मध्यस्थता की उसकी चाहत में सबसे बड़ा रोड़ा उसके अपने फसाद हैं. भारत ही नहीं फिलिपींस, वियतनाम समेत कई पड़ोसियों के साथ उसके सीमा विवाद हैं, इतना ही नहीं रूस और यूक्रेन के युद्ध में चीन की मध्यस्थता के प्रस्ताव को कोई तवज्जो नहीं मिली थी. साथ ही विवादों को सुलझाने का इतिहास बताता है कि जब मामला चीन का हो तो बीजिंग में बैठी सत्ता अदालत से ही मुंह मोड़ लेती है. फिलिपींस के साथ दक्षिण चीन सागर में हदों के मुद्दे पर चीन ने अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के फैसले को मानने से इनकार कर दिया जो फिलिपींस के हक में आया था।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि... वैश्विक जगत का मुखिया बनने की चीन की चाहत- अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन की स्थापना-50 देशों के साथ 20 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से 400 प्रतिनिधि शामिल ग्लोबल साउथ का लीङर बनने की फिराक में चीन-संयुक्त राष्ट्र व अमेरिका को चुनौती देने के मूड में चीन,चीन अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने के बजाय पहले भारत फिलिपींस वियतनाम सहित अनेको पड़ोसियों से सीमा विवाद सुलझाए तो बेहतर होगा।
*-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 9359653465*
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