प्रधानमंत्री कॉलेज आफ़ एक्सीलेंस झाबुआ के अतिथि विद्वानों ने अपनी समस्याओं को लेकर सौंपा प्राचार्य को ज्ञापन
प्रधानमंत्री कॉलेज आफ़ एक्सीलेंस झाबुआ के अतिथि विद्वानों ने अपनी समस्याओं को लेकर सौंपा प्राचार्य को ज्ञापन :-
" ऐच्छिक अवकाश का प्रावधान फिर भी प्राचार्य ने दो सत्रों से नहीं दी "
" 18 माह से नहीं हुआ उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य का भुगतान "
" हर माह की 10 से 15 तारीख के बीच ही किया जाता है मानदेय का भुगतान "
" परीक्षा में अधिकांश ड्यूटी अतिथि विद्वानों की ही लगाई जाती है, नियमित की नहीं "
" जो पेपर अतिथि विद्वान पढ़ाते हैं, उसके मूल्यांकन की कॉपी सीनियर दे दी जाती है "
प्रदेश के शासकीय अतिथि विद्वान विगत 25 सालों से अपने अधूरें भविष्य को लेकर तो चिंतित है ही, लेकिन इन्हें प्रधानमंत्री कॉलेज आफ़ एक्सीलेंस शहीद चन्द्रशेखर आजाद शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय झाबुआ में कई आतंरिक समस्याओं से भी जूझना पड़ रहा है। जिसको लेकर महाविद्यालय में कार्यरत 11 अतिथि विद्वानों ने महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जगदीश चन्द्र सिन्हा को अपनी विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए बुधवार को एक ज्ञापन सौंपा।
यह रही अतिथि विद्वानों की प्रमुख समस्याएं :
1. मंत्रालय उच्च शिक्षा विभाग के दिनांक 5 अक्टूबर 2023 के आदेश के 7.1 बिंदु में अतिथि विद्वानों को तीन ऐच्छिक अवकाश व तेरह आकस्मिक अवकाश देने का प्रावधान है। किंतु प्राचार्य द्वारा विगत दो सत्रों से अतिरिक्त संचालक इंदौर के मौखिक निर्देश पर नहीं दी जा रही हैं। जबकि ऐच्छिक अवकाश नहीं देने का अतिरिक्त संचालक ने लिखित में अब तक कोई आदेश नहीं निकाला है।
2. उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी बजट हेड में करोड़ों रुपए का बजट उपलब्ध करवाने के बावजूद हर माह की 10 से 15 तारीख तक ही मानदेय भुगतान किया जाता है। जिसके कारण इन्हें आर्थिक व मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
3. जो अतिथि विद्वान उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कार्य करते हैं, उनका मानदेय भुगतान मूल्यांकन केन्द्र पीएम कॉलेज झाबुआ से विगत 18 माह से नहीं किया गया है।
4. समय सारिणी के अनुसार जो कक्षा अथवा प्रश्न पत्र अतिथि विद्वान पढ़ाते हैं, उनकी देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर द्वारा मूल्यांकन कार्य हेतु भेजी जाने वाली उत्तर पुस्तिकाएं सीनियर प्रोफेसरों को जांचने के लिए दे दी जाती है। जबकि जो पेपर अतिथि विद्वान पढ़ाता है, उसे ही नियमानुसार जांचने के लिए मिलनी चाहिए।
5. वार्षिक व सेमेस्टर परीक्षाओं में लगभग अतिथि विद्वानों की ही ड्यूटी लगाई जाती है। लेकिन अनेकों नियमित को छोड़ दिया जाता है। उस दौरान जरूरी काम आ जाने पर आकस्मिक अवकाश देने से भी मना कर दिया जाता है।
अपनी समस्याओं के संबंध में ज्ञापन सौंपते समय संयुक्त अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी एवं इतिहास विषय के अतिथि विद्वान शंकरलाल खरवाडिया, डॉ. प्रवेश जाटव, डॉ. कृतिका श्रीवास्तव, डॉ. मुकेश डामोर, डॉ. सपना जोशी, डॉ. जुली जैन, डॉ. भैरू सिंह सिगाड़, डॉ. रोहित सिंह, डॉ. किरण सिंघल, रितेश तंवर, मनोज अवस्या उपस्थित थे।
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