भारत के निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति 2024-परामर्श टिप्पणियां 28 अक्टूबर 2024 तक आमंत्रित
भारत के निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति 2024-परामर्श टिप्पणियां 28 अक्टूबर 2024 तक आमंत्रित
भारत के निज़ी क्षेत्र में भी अब गूंजेगा डिजिटल रेडियो प्रसारण
भारतीय रेडियो के तेजी से बढ़ते प्रचलन से अब निजी एफएम रेडियो का डिजिटलीकरण समय की मांग-ट्राई का प्राइवेट ब्रॉडकास्टर डिजिटल नीति प्रक्रिया शुरू करना सराहनीय -एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर आज़ अगर बुजुर्गों से बात की जाए और पुराने व अभी के नए ज़माने के बारे में पूछा जाए तो, मेरा मानना है कि उन सभी के पवित्र मुख से एक साथ निकलेगा कि पुराना जमाना स्वर्ग से भी बढ़कर था,यानें उस ज़माने में हम स्वर्ग से भी सुंदर पलों में अपनी जिंदगी का सफर तय कर रहे थे, परंतु आज के जमाने के डिजिटल युग में हर सुख सुविधा आ गई है, लेकिन छूट गया है तो,वह है मन का सुख चैन,दिलोदिमाग पर शांति का भाव और नहीं है तो, हर किसी के पास, वह है टाइम! अगर हम उनसे मनोरंजन व अति ज़रूरी जीवन साधन का नाम पूछेंगे तो उनके पवित्र मुख से अनायास ही निकल पड़ेगा रेडियो! जो आज भी उन पुराने ज़माने के लोगों व उनके सानिध्य में कुछ नए जमाने के युवकों का हमसफर बन चुका है,जिसका वर्तमान में तेजी से प्रचलन तब हुआ, जब 3 अक्टूबर 2014 को माननीय प्रधानमंत्री ने मन की बात शुरू किए थे जिसकी 114 वीं कड़ी 29 सितंबर 2024 को प्रसारित की गई जिसमें उन्होंने अपने मन की बात में भी यह बात कही थी। वैसे मैं भी पिछले करीब 45 वर्षों से रेडियो का शौकीन रहा हूं जो आज भी हूं।सच कहूं तो मुझे कई बार अपने अनेक आर्टिकल्स की हिंट भी रेडियो के रोज दोपहर 3 बज़े आने वाले कार्यक्रम सखी सहेली से भी मिलता है। रोज़ाना 1 घंटे के इस कार्यक्रम में कोई एक लाइन या शब्द जरूर मिल जाती है जिसे पकड़कर मैं पूरा आर्टिकल लिख देता हूं। आज हम इस रेडियो विषय में इसलिए बात कर रहे हैं, क्योंकि 30 सितंबर 2024 को ट्राई यानें रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया, निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति तैयार करने से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर हितधारकों के विचार जानने के लिए उनसे सुझाव प्राप्त करने के लिए 30 सितंबर 2024 से 28 अक्टूबर 2024 तक आमंत्रित किए गए हैं।चूँकि भारतीय रेडियो क़े तेजी से बढ़ते प्रचलन से अब निजी एफएम रेडियो का डिजिटलीकरण समय की मांग है, ट्राई का प्राइवेट ब्रॉडकास्टर डिजिटल नीति प्रक्रिया शुरू करना सराहनीय है जिससे भारत के निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति 2024 लागू की जाएगी। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे भारत के निजी क्षेत्र में भी अब गूंजेगा डिजिटल रेडियो प्रसारण।
साथियों बात अगर हम ट्राई द्वारा निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति तैयार करने की करें तो,ट्राई ने आज निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति तैयार करने सम्बंधी परामर्श पत्र जारी किया है।वर्तमान में, भारत में एनालॉग टेरेस्टेरियल रेडियो प्रसारण, मीडियम वेव (एमडब्ल्यू) (526-1606 किलोहर्टज), शॉर्ट वेव (एसडब्ल्यू) (6-22 मेगाहर्टज) और वीएचएफ -II (88-108 मेगाहर्टज) स्पेक्ट्रम बैंड में किया जाता है। इस बैंड में, वीएचएफ -II बैंड को फ़्रीक्वेंसी मॉड्यूलेशन (एफएम) प्रौद्योगिकी शामिल किए जाने के कारण एफएम बैंड के रूप में जाना जाता है। ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) - सार्वजनिक सेवा प्रसारक के तौर पर एम डब्ल्यू, एस डब्ल्यू और एफ एम बैंड के माध्यम से रेडियो प्रसारण सेवाएं प्रदान करता है। निजी क्षेत्र के रेडियो प्रसारकों को केवल एफएम फ़्रीक्वेंसी बैंड (88-108 मेगाहर्टज) मेंकार्यक्रम प्रसारित करने का लाइसेंस दिया गया है।डिजिटल रेडियो प्रसारण से एनालॉग रेडियो प्रसारण की तुलना में कई प्रकार के लाभ प्राप्त किए जाएंगे। डिजिटल रेडियो प्रसारण का मुख्य लाभ, एक ही फ़्रीक्वेंसी पर तीन से चार चैनल प्रसारित करने की क्षमता के साथ ही सभी चैनलों के लिए आवाज़ की उत्कृष्ट गुणवत्ता सुनिश्चित करना है। एनालॉग मोड में एक फ़्रीक्वेंसी पर केवल एक चैनल का प्रसारण संभव होता है। प्रतिस्पर्धी माहौल में, डिजिटल रेडियो प्रसारण, श्रोताओं को लगातार सुधार वाली सेवाएं उपलब्ध कराने के साथ रेडियो प्रसारकों को रोमांचक नए अवसर भी प्रदान कर सकता है।ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) ने अपने एनालॉग एमडब्ल्यू और एसडब्ल्यू रेडियो प्रसारण नेटवर्क का डिजिटलीकरण शुरू कर दिया है और अपने मौजूदा 38 एनालॉग ट्रांसमीटरों की जगह डिजिटल ट्रांसमीटर लगा दिए है। एआईआर ने एफएम बैंड में भी डिजिटल रेडियो प्रौद्योगिकियों के लिए परीक्षण कर लिए हैं।हालांकि निजी एफएम रेडियो प्रसारकों द्वारा एफएम बैंड के डिजिटलीकरण में अभी तक कोई भी पहल नही की गई है।डिजिटल रेडियो प्रसारण व्यवस्था लागू किए जाने को सुविधाजनक बनाने वाले एक इको-सिस्टम को तैयार करने के लिए, ट्राई ने 1 फरवरी 2018 को भारत में डिजिटल रेडियो प्रसारण से सम्बंधित मुद्दों के लिए अपनी सिफारिशें दीं। प्राधिकरण ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि रेडियो प्रसारकों, ट्रांसमिशन उपकरण निर्माताओं और डिजिटल रेडियो रिसीवर निर्माताओं सहित सभी हितधारकों को एक मंच पर लाने और डिजिटल रेडियो प्रसारण के लिए इकोसिस्टम विकसित करने के लिए सामूहिक रूप से काम के लिए प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता थी। प्राधिकरण ने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार को भारत में डिजिटल रेडियो प्रसारण के लिए एक विस्तृत नीति रूपरेखा तैयार करनी चाहिए। समयबद्ध तरीके से डिजिटल रेडियो प्रसारण सेवाओं को शुरू करने के लिए विस्तृत रोडमैप भी इस नीति रूपरेखा में शामिल होना चाहिए।अब, एमआईबी ने 23 अप्रैल 2024 की अपने टिप्पणी के माध्यम से निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति तैयार करने को लेकर ट्राई से सिफारिशें मांगी हैं।प्रौद्योगिकी परिवर्तन को पूरा करने के लिए, एफएम चरण-III नीति के तहत कुछ मौजूदा प्रावधानों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता का उल्लेख एमआईबी ने किया है। एमआईबी ने डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति के लिए सिफारिशें तैयार करते समय विचार किए जाने योग्य कुछ मुद्दों पर भी प्रकाश डाला है।तदनुसार, ट्राई ने निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति तैयार करने से सम्बंधित विभिन्न मुद्दों पर हितधारकों के विचार जानने के लिए यह परामर्श प्रक्रिया शुरू की है। परामर्श पत्र पर लिखित टिप्पणियां 28 अक्टूबर 2024 तक हितधारकों से आमंत्रित की गई हैं। इसके जवाब में लिखित रूप से यदि कोई टिप्पणी हों तो 11 नवंबर 2024 तक ज़रूर भेजी जा सकती है।
साथियों बात अगर हम रेडियो के प्रचार प्रसार की करें तो सूचना प्रसारण मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान 57 नए सामुदायिक रेडियो स्टेशनों को मंजूरी दी है। मंत्रालय ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि 31 मार्च 2024 तक देश में कुल 494 सामुदायिक रेडियो स्टेशन काम कर रहे हैं। इनमें से 283 गैर-सरकारी संगठनों द्वारा, 191 शैक्षणिक संस्थानों द्वारा और 20 कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं।रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सरकार सामुदायिक रेडियो क्षेत्र को मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। इसके तहत भारत में सामुदायिक रेडियो आंदोलन को समर्थन नामक एक केंद्रीय योजना शुरू की गई है। इस योजना के अंतर्गत नए और मौजूदा रेडियो स्टेशनों को उपकरण खरीदने या बदलने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। इसके अलावा, क्षमतावर्धन, जागरूकता कार्यक्रम, क्षेत्रीय सम्मेलनों और वार्षिक सामुदायिक रेडियो पुरस्कारों को भी इस योजना के तहत प्रोत्साहित किया जाता है।रिपोर्ट के अनुसार, सामुदायिक रेडियो आंदोलन की शुरुआत से अब तक कुल 680 संस्थानों को सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के लिए इच्छापत्र जारी किए गए हैं, जिनमें से 603 संस्थाओं ने अनुमति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। 31 मार्च 2024 तक 494 सामुदायिक रेडियो स्टेशन सक्रिय हो चुके हैं।इसके अलावा, रिपोर्ट में निजी एफएम रेडियो स्टेशनों की जानकारी भी दी गई है। 31 मार्च 2024 तक 113 शहरों में 388 निजी एफएम चैनल सक्रिय हैं, जो 26 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं। वर्ष 2000 में निजी एफएम रेडियो की शुरुआत के बाद से सरकार ने विभिन्न शुल्कों के माध्यम से 6,647.77 करोड़ रुपये की कमाई की है, जिसमें एक बार की प्रवेश शुल्क, लाइसेंस शुल्क और टॉवर किराया शामिल हैं।
साथियों बात अगर हम रेडियो के महत्व प्रोग्राम वह स्टेटससिंबाल्स की करें तो,भारत में एक ज़माना था जब रेडियो किसी व्यक्ति या घर-घरानें का एक स्टेटस सिंबाल बन जाता था, जिसका जीता जाता उदाहरण हमारा भावनानी परिवार है।मेरे ग्रैंडफादर रेडियो पर बिनाका गीत माला जो प्रति बुधवार को आता था, बहुत ध्यान से सुनते थे साथ मेरे पिताजी और फिर उनकी तीसरी पीढ़ी मैं भी बिनाका गीतमाला रोज रात्रि 8 बजे से बहुत ध्यान से सुनकर एंजॉय करते थे। बाद में उसका नाम सिबाका गीत माला हो गया था। इसका प्रसारण रेडियो सीलोन द्वारा 1952 से 1988 तक किया गया। इसके बाद 1989 से लेकर 1993 तक इसके प्रसारण का अधिकार विविध भारती को दिया गया था जो आल इंडिया रेडियो (आकाशवाणी) के अधीन कार्य करता था। बिनाका गीतमाला हिंदी फ़िल्मी गानो का प्रसारण करने वाला पहला रेडियो कार्यक्रम था।मेरे पिताजी हैंडल बेल्ट वाला रेडियो अपने शोल्टर पर टंगा कर दुकान या कहीं पड़ोस में घूमने जाते थे,तो लेकर जाते थे। वह जमाना बहुत ही खूबसूरत था, परंतु आज भी मैं चौथी पीढ़ी के रूप में रेडियो को बहुत चाव से सुनता हूं खासकर दोपहर 3 बजे सखी सहेली कार्यक्रम में ऐसा कई बार हुआ है कि मैं अपने आलेख का विषय इस सखी सहेली कार्यक्रम के किसी न किसी लाइन या शब्द को पकड़ कर उठता हूं, और पूरा आलेख अपने शब्दों में उसे पर लिख देता हूं। रेडियो के इतिहास में जाएं तो 1936 में भारतीय रेडियो सेवा को ऑल इंडिया रेडियो नाम मिला था। इससे पहले इसे इंडियन स्टेट ब्रॉडकास्टिंग सर्विस के नाम से जाना जाता था। आगे चलकर इसे आकाशवाणी के नाम से भी जाना गया। देश में रेडियो की शुरुआत 23 जुलाई 1927 को हुई थी। रेडियो क्लब ऑफ बॉम्बे से शुरू हुआ सफर 97 साल बाद देश की 99.18 प्रतिशत आबादी तक पहुंच चुका है।उस समय रेडियो को रखने के लिये प्रतिवर्ष लाइसेंस फीस देनी होती थी,जो निकटतम डाकघर में जमा होती थी। हमारा रेडियो मरफी का था,जो बिजली से ही चलता था।बाकायदा इसके लिए एक पीतल का जालीनुमा एंटेना भी लगाना पड़ता था। मैं आज भी रेडियो सुनता हूं1971 भारत पाकिस्तान के युद्ध के बाद पाकिस्तानी युद्ध बंदियो का संदेश रेडियो पर प्रसारित किया जाता था। रेडियो सूचना का सशक्त माध्यम है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत क़े निजी रेडियो प्रसारकों के लिए डिजिटल रेडियो प्रसारण नीति 2024-परामर्श टिप्पणियां 28 अक्टूबर 2024 तक आमंत्रित।भारत के निज़ी क्षेत्र में भी अब गूंजेगा डिजिटल रेडियो प्रसारण।भारतीय रेडियो क़े तेजी से बढ़ते प्रचलन से अब निजी एफएम रेडियो का डिजिटलीकरण समय की मांग- ट्राई का प्राइवेट ब्रॉडकास्टर डिजिटल नीति प्रक्रिया शुरू करना सराहनीय है।
*-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*
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