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शेयर बाजार लगातार धड़ाम!- शुभ मंगल में अमंगल कोहराम! मिनट भर में 1.33 लाख करोड़ स्वाह

 शेयर बाजार लगातार धड़ाम!- शुभ मंगल में अमंगल कोहराम! मिनट भर में 1.33 लाख करोड़ स्वाह

शेयर बाजार में भारी गिरावट जारी-विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली अमेरिकी टैरिफ, ट्रंप-यूक्रेन-ईयू टेंशन- निवेशकों में डर मेंशन 


शेयर मार्केट में लगातार भारी गिरावट चिंतनीय - एनएसई निफ्टी के साप्ताहिक मासिक एक्सपायरी दिन को गुरुवार से सोमवार किया,4 अप्रैल 2025 से लागू-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर दशकों से यह प्रचलन रहा है कि जब भी कोई प्राकृतिक, मानवीय मेड घटना, महायुद्ध सत्ता का पलटना महामारी इत्यादि कुछ घटनाएं होती है तो इसका प्रभाव संबंधित अनेक क्षेत्रों में होता हुआ दिखता है। जैसे 57 देशों के इस्लामी सहयोग संगठन, खड़ी देश हो या फिर विकसित देशों के बीच टकराव हो इससे तेल का रेट बढ़ना, किसी राजनीतिक उलटफेर का डर या कानून से विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा शेयरों की  बिकवाली से शेयर मार्केट गिरना या कोई महामारी आने से स्वास्थ्य व खाद्य क्षेत्र का चरमरा जाना इत्यादि होता है। मैंनें बचपन में हर्षद मेहता का बहुत बड़ा शेयर घोटाला तथा एक स्टांप पेपर घोटाला सुना था जिसनें उच्चस्तर तक को हिला दिया था। आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि पिछले अनेक दिनों से भारतीय शेयर बाजार लगातार धड़ाम हो रहा है,भारत ही नहीं बल्कि ट्रंप द्वारा 4 मार्च 2025 से मैक्सिको कनाडा पर 25 परसेंट टैरिफ लगाने से ऑटोमेटेकली शेयरों को भारी मात्रा में गिरता देखा जा रहा है, इस तरह ट्रंप के विज़न अमेरिकी फर्स्ट व भारतीय लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन के कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा लगातार शेयरों की बिकवाली कर भारत से पैसा समेट रहे हैं, शायद अमेरिका में लगाने का उनका विचार हो सकता है! ऐसे अनेक संभावित कारणों की चर्चा हम नीचे पैराग्राफ में करेंगे।चूँकि शेयर मार्केट की लगातार भारी मात्रा में गिरावट चिंतनीय है, एनएसई निफ्टी को साप्ताहिक मासिक एक्सपायरी दिन को मंगलवार से सोमवार किया गया है जो 4 अप्रैल 2025 से लागू हो गया है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, शेयर बाजार लगातार धड़ाम शुभमंगल को कोहराम, मिनट भर में 1.33 लाख करोड़ स्वाहा! 

साथियों बात अगर हम शेयर मार्केट की होती जा रही बुरी गति की करें तो,लगातार 12 वें दिन गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है, मंगलवार को ओपनिंग बेहद खराब रही थी। गिफ्ट निफ्टी ने भी भारी गिरावट का संकेत दिया था, और हुआ भी वैसा ही, सेंसेक्स और निफ्टी गिरावट के साथ खुले, और अब भी दबाव के साथ ही कारोबार कर रहा है। दरअसल, निवेशकों की अब हर उम्मीदें टूटती जा रही हैं। फरवरी का महीना शेयर बाजार के निवेशकों के लिए बेहद बुरा साबित हुआ।अभी मार्च का आगाज भी कोहराम के साथ हुआ है। मंगलवार को सेंसेक्स गिरावट के साथ 72,817.34 अंक पर खुला, जबकि निफ्टी 21,974.45 अंक पर खुला। मंगलवार दोपहर 1.30 बजे सेंसेक्स 176 गिरकर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 56 अंक गिरकर कारोबार कर रहा था।इससे पहले सोमवार को निफ्टी लुढ़ककर 22004 अंक तक पहुंच गया था। अगर निफ्टी 22000 अंक के नीचे चला जाता तो फिर गिरावट और बढ़ जाती है।हालांकि निफ्टी का 52 वीक लो 21,281.45 अंक है, जो मार्च-2024 का आंकड़ा है। ऐसे में टेक्निकल पैरामीटर पर अगर निफ्टी 22000 का लेवल तोड़ता है तो फिर 21000 अंक तक फिसल सकता है। फिलहाल 22000 अंक निफ्टी के लिए एक मजबूत सपोर्ट का काम कर रहा है। अगर गिरावट की बात करें तो पेटीएम के शेयर में 4.60 फीसदी, बजाज ऑटो में 5 फीसदी, हीरो मोटोकॉर्प में 3.50 फीसदी, इत्यादि अनेक शेयरों के रेट गिरे हैं, जबकि एचएएल में 3.5 फीसदी, एसबीआई में करीब 3 फीसदी, भेल में 2.50 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। 

साथियों बात अगर हम शेयर बाजार में गिरावटों के संभावित कारणों की करें तो,बाजार में गिरावट के ये सात मुख्य कारण हैं (1) एफआईआई की जोरदार बिकवाली- अगर बाजार में गिरावट के कारण देखें तो विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी है, साल 2025 में अबतक फी भारतीय बाजार से करीब 1.50 लाख करोड़ रुपये निकाल चुके हैं. सिर्फ सोमवार को ही फिईस ने भारतीय शेयरों में 4,788 करोड़ रुपये के शेयर बेच डाले। इससे पहले शुक्रवार 28 फरवरी को 11639 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे,वहीं भारतीय बाजार से पैसे निकालकर विदेशी निवेश चाइनीज मार्केट में लगा रहे हैं। (2) ट्रंप का टैरिफ अटैक-कनाडा और मैक्सिको से आने वाले सामानों पर 25 पेर्सेंट टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। जवाब में कनाडा ने भी अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर 25 पेर्सेंट का जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। जिससे निवेशकों की चिंताएं बढ़ गई हैं. यही कारण है कि सोमवार को अमेरिकी बाजार में भी भारी गिरावट देखी गई। यही नहीं, डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ पॉलिसी ने ग्लोबल मार्केट्स में हड़कंप मचा दिया है। (3) अब बड़ी कंपनियों के शेयरों में गिरावट मिडकैप और स्मॉल कैप कंपनियों में भारी गिरावट के बीच अब लॉर्जकैप शेयरों में बिकवाली बढ़ने लगी है।मंगलवार को भी रिल के शेयरों गिरावट दर्ज की गई. इसके अलावा आईटी कंपनियों में दबाव देखने को मिल रहा है. टैरिफ वॉर से भी आईटी कंपनियों के शेयर गिर रहे हैं। निवेशकों को डर है कि टैरिफ और व्यापार तनाव के कारण भारतीय आईटी कंपनियों को मिलने वाले आउटसोर्सिंग प्रोजेक्ट्स में गिरावट आ सकती है (4) ग्लोबल सेंटीमेंट खराब- पिछले करीब 6 महीने की गिरावट से बाजार का सेंटीमेंट काफी खराब हैँ।अच्छी खबर पर भी बाजार चलने को तैयार नहीं है,खासकर अमेरिकी चुनाव के बाद डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने माहौल बिगाड़ने का काम किया है,यही नहीं, अमेरिका ने चीन से आने वाले उत्पादों पर 10 पेर्सेंट का अतिरिक्त शुल्क लगाने का ऐलान किया है, इससे चीन पर कुल टैरिफ 20पेर्सेंट तक पहुंच गया है।एक्सपर्ट्स को चीन से भी आने वाले दिनों में ऐसी ही कदमों का अनुमान हैं। (5) भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का कारण लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स माना जा रहा है- विशेषज्ञ इसे हटाने की मांग कर रहे हैं ताकि विदेशी निवेशक वापस आएं। (6) चीन की ओर से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिशें-चीन की सरकार कोविड महामारी के बाद अपने देश की अर्थव्यवस्था को एक बार फिर से पटरी पर लाने की कोशियों में जुट गई है। इसके लिए सरकार की ओर से कई पहल किए गए हैं। उद्योगों के हित में कई नई घोषणाओं के बाद चीनी इक्विटी में वैश्विक निवेशकों को बड़े मौके दिख रहे हैं। इसे देखते हुए वे अपना पैसा भारत जैसे बाजार से निकालकर वहां डाल रहेहैं, इससे भारतीय इक्विटी को नुकसान हो रहा है। अगर चीनी सरकार की नई पहलों को एफआईआई से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती है, तो इसका मतलब है कि भारतीय बाजार पर दबाव बढ़ेगा और हैंग सेंग एक्सचेंज के जरिए चीनी शेयरों में और अधिक पैसा आएगा। हालांकि जानकारों का मानना है कि भारतीय शेयरों, विशेष रूप से मिड और स्मॉल- कैप के उच्च मूल्यांकन के कारण एफआईआई भले ही बिकवाली करें लेकिन, हालांकि, अच्छी बात यह है कि भारत में लार्ज- कैप का उचित मूल्यांकन है, जो इस सेगमेंट में खरीदारी को आगे भी आकर्षित करना जारी रख सकता है। (7) सोने की कीमतों में इजाफा- वैश्विक बाजारों में गोल्ड फ्चूचर और हाजिर सोने की कीमतों में बीते कुछ महीनों में बड़ा उछाल दिखा। सोना लगातार अपने ऑल टाइम हाई के आसपास कारोबार कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में, हाजिर सोना 24 फरवरी, 2025 को 2,956.37 डॉलर प्रति औंस के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया। 2024 में सोने की कीमतों में 27 पेर्सेंट मजबूती दर्ज की गई और 2025 में अब इस में 10.3पेर्सेंट का उछाल आ चुका है।आईसी आईसी आई  बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय सोने की कीमतें पहली छमाही में 90,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है। दिसंबर 2025 तक इसकी कीमतें 95,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है। सोने की कीमतों में लगातार इजाफा भारतीय इक्विटी पर भी नकारात्मक असर डाल रहा है, क्योंकि लोग सुरक्षित निवेश की संभावना को देखते हुए इक्विटी से निकल कर सोने का रुख कर रहे हैं। 

साथियों बात अगर हम भारत में शेयर मार्केट के गिरने के कारणों में एक कैपिटल गेन टैक्स की करें तो, गेंस एक प्रकार का कर है जो किसी संपत्ति को बेचने पर हुए मुनाफे पर लगाया जाता है. भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का कारण एलटीसीजी टैक्स माना जा रहा है। विशेषज्ञ एलटीसीजी टैक्स हटाने की मांग कर रहे हैं। एलटीसीजी हटने से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में लौट सकते हैं।कैपिटल गेंस टैक्‍स एक प्रकार का कर है जो किसी संपत्ति को बेचने पर हुए मुनाफे पर लगाया जाता है, यह दो तरह का होता है, शार्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्‍स और लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्‍स। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स किसी संपत्ति जैसे शेयर और संपत्ति को एक निश्चित अवधि से अधिक समय तक धारण करने के बाद बेचने पर हुए मुनाफे पर लगाया जाता है।शेयरों के मामले में यह अवधि 12 महीने है, यानी अगर हम 12 महीने तक किसी शेयर को रखने के बाद उसे बेचते हैं, तो उससे हुए मुनाफे पर हमको एलटीसीजी चुकाना होगा। बजट 2025 में वित्त मंत्री ने कैपिटल गेन टैक्स की दरों को बढ़ा दिया था।सरकार ने शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स की दरों को 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया था, जबकि लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स को 10 पेर्सेंट से बढ़ाकर 12.5 पेर्सेंट ​​कर दिया था। भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हैं, जो शेयरों की बिक्री पर लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्‍स वसूलता है। 

साथियों बात अगर हम भारतीय शेयर बाजार पर आगे के लिए अनुमानों के कयास लगाने की करें तो, भारतीय अर्थव्यवस्था में वित्तीय वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही का जीडीपी अनुमान दलाल स्ट्रीट की उम्मीदों के अनुरुप रहना बाजार को अस्थायी राहत प्रदान कर सकता है। दिसंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि 6.2 पेर्सेंट दर्ज की गई। यह मुख्य रूप से सरकार की ओर से उच्च खपत से प्रेरित रही। इस दौरान पूंजी निर्माण पिछली तिमाही की तुलना में स्थिर रहा। पूरे वित्तीय वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.5 पेर्सेंट आंकी गई है। ऐसा तब संभव है जब चौथी तिमाही की वृद्धि दर 7.6 पेर्सेंट या उससे अधिक रहे। हालांकि फिलहाल यह एक लंबा लक्ष्य प्रतीत होता है। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि शेयर बाजार लगातार धड़ाम!- शुभ मंगल में अमंगल कोहराम! मिनट भर में 1.33 लाख करोड़ स्वाह।शेयर बाजार में भारी गिरावट जारी- विदेशी संस्थागत निवेशकोंकी लगातार बिकवाली, अमेरिकी टैरिफ, ट्रंप- यूक्रेन-ईयू टेंशन- निवेशकों में डर मेंशन।शेयर मार्केट में लगातार भारी गिरावट चिंतनीय-एनएसई निफ्टी के साप्ताहिक मासिक एक्सपायरी दिन को गुरुवार से सोमवार किया, 4 अप्रैल 2025 से लागू।


*-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9284141425*

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