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6 वाँ बिम्सटेक शिखर सम्मेलन थाईलैंड 2025 में भारत का आगाज़

 6 वाँ बिम्सटेक शिखर सम्मेलन थाईलैंड 2025 में भारत का आगाज़ 

भारत व थाईलैंड संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने पर सहमत-प्रमुख क्षेत्रों में समझौतों पर हस्ताक्षर 


दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की निष्क्रियता, अमेरिका चीन में मची खींचतान, बांग्लादेश चीन संबंधों के बीच भारत के लिए बिम्सटेक अति महत्वपूर्ण- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 



गोंदिया - वैश्विक स्तरपर दुनियाँ में मची गुटबाजी, वैश्विक मंचों पर अपना दबदबा दिखाने की होड़ व अभी 4 अप्रैल सेअमेरिका द्वारा जारी टैरिफ बम जिसमें कनाडा और मेक्सिको को छोड़ दिया गया है, के बीच यह ज़रूरी हो गया है कि,अब क्षेत्रीय देशों को अपने संबंधों व व्यापार में रणनीति साझेदारी बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। इसी कड़ी में भारत का छठवें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में थाईलैंड का दो दिवसीय दौरा काफी महत्वपूर्ण हो जाता है,जहां 6 प्रमुख क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग साझेदारी पर हस्ताक्षर हुए, जो रेखांकित करने वाली बात है।चूँकि दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की निष्क्रियता,अमेरिकी चीन में मची खींचतान, बांग्लादेश -चीन संबंधों के बीच भारत के लिए बिम्सटेक अति महत्वपूर्ण है,इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,6 वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन थाईलैंड 2025 में भारत का आगाज़। 

साथियों बात अगर कर हम बिम्सटेक भारत के लिए अति महत्वपूर्ण होने की करें,अमेरिका -चीन के बीच मची खींचतान के कारण एशिया में अस्थिरता बढ़ रही है। चीन अपनी समुद्री और नौसैनिक क्षमताओं का विस्तार कर रहा है। इससे बंगाल की खाड़ी एक बार फिर विवादित क्षेत्र बन रही है। इससे हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने में बिमस्टेस भारत के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। इस क्षेत्र के देशों को मिलाकर बनाया गया दूसरा संगठन दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संघ (सार्क) पाकिस्तान की हरकतों के कारण निष्क्रिय पड़ा हुआ है। वहीं, चीनी कर्ज के तले दबा श्रीलंका खुद को बीजिंग से दूर कर रहा है। जबकि, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार चीन के इशारों पर नाच रही है। ऐसे हालात में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन को अहम माना जा रहा है। (1)चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने की रणनीति- चीन लगातार अपनी नौसैनिक शक्ति और समुद्री गतिविधियों को बढ़ा रहा है, जिससे बंगाल की खाड़ी रणनीतिक रूप से और भी महत्वपूर्ण हो गई है।बिम्सटेक के जरिए भारत हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है (2) सार्क की निष्क्रियता का विकल्प दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए (सार्क) संगठन बनाया गया था, लेकिन पाकिस्तान की नीतियों और आतंकवाद को समर्थन देने की वजह से यह संगठन लगभग निष्क्रिय हो चुका है,ऐसे में बिम्सटेक भारत के लिए एक बेहतर और मजबूत विकल्प बनकर उभर रहा है।(3)श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ समीकरण -श्रीलंका, जो चीन के कर्ज के बोझ तले दबा था, अब धीरे-धीरे भारत की ओर झुकाव दिखा रहा है। दूसरी ओर, बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के बीच चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. ऐसे में बिम्सटेक भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंध मजबूत करने का बेहतरीन मंच देता है (4) व्यापार और निवेश के लिए अहम मंच-भारत बिम्सटेक को व्यापार, तकनीकी सहयोग और कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण संगठन मानता है। इसमें सदस्य देशों के साथ सीमा पार व्यापार, ऊर्जा सहयोग और बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दी जा रही है।बिम्सटेक संगठन भारत के लिए रणनीतिक,आर्थिक और कूटनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है।जहां एक ओर यह भारत को चीन के बढ़ते दबदबे का मुकाबला करने का अवसर देता है, वहीं दूसरी ओर यह दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच व्यापार और सहयोग को भी बढ़ावा देता है।पीएम और विदेश मंत्री की इस बैठक में भागीदारी यह दर्शाती है कि भारत बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में अपने प्रभाव को और मजबूत करना चाहता है। आने वाले वर्षों में यह संगठन भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन सकता है। 

साथियों बात अगर हम थाईलैंड के साथ भारत के रणनीतिक साझेदारी की करें तो,पीएम ने कहा,हमने नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल टेक्नोलॉजी, ई- व्हीकल, रोबोटिक्स, अंतरिक्ष, जैव-प्रौद्योगिकी और स्टार्ट-अप में सहयोग को मजबूत करने का निर्णय लिया। भौतिक संपर्क बढ़ाने के अलावा, दोनों देश फिनटेक संपर्क को बढ़ावा देने के लिए भी काम करेंगे।पीएमने कहा कि वार्ता में भारत-थाईलैंड रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा हुई जिसमें रक्षा, सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा और जल विज्ञान जैसे रणनीतिक क्षेत्र शामिल हैं। पीएमने कहा, हमने आतंकवाद, मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई।अपने संबोधन में पीएम ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत की एक्ट ईस्ट नीति और थाईलैंड की एक्ट वेस्ट नीति एक -दूसरे की पूरक हैं और कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के अवसर खोलती हैं। पीएम ने थाई पीएम के साथ संयुक्त प्रेस वक्तव्य में कहा, हमने थाईलैंड और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के बीच पर्यटन, संस्कृति, शिक्षा के क्षेत्र मेंसहयोग पर जोर दिया। हमने बढ़ते आपसी व्यापार, निवेश और व्यापारिक आदान-प्रदान पर चर्चा की। एमएसएमई, हथकरघा और हस्तशिल्प के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भी समझौते किए गए।भारत और थाईलैंड ने गुरुवार को दोनों देशों के समकक्ष  बीच व्यापक चर्चा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने पर सहमति जताई। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों पर चर्चा की। बाद में कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। भारत- थाईलैंड सामरिक साझेदारी की स्थापना पर संयुक्त घोषणा के अलावा, डिजिटल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सहयोग पर एक समझौता हुआ। इस संबंध में थाईलैंड के डिजिटल अर्थव्यवस्था और समाज मंत्रालय तथा भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।भारत के बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के सागरमाला डिविजन तथा थाईलैंड के ललित कला विभाग, संस्कृति मंत्रालय के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (एनएमएचसी) के विकास को लेकर है। 

साथियों बात अगर हम थाईलैंड मैं आयोजित 6 वें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भारत के आगाज की करें तो माननीय पीएम ने कहा भारत की एक्ट ईस्ट नीति में थाईलैंड का विशेष महत्व है।हम विस्तारवाद में नहीं, बल्कि विकासवाद में विश्वास करते हैं।पीएम ने बैंकॉक में अपने थाई समकक्ष के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की और दोनों नेताओं ने भारत- थाईलैंड संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाने का निर्णय लिया और विनाशकारी भूकंप के दौरान हुई जनहानि पर संवेदना भी व्यक्त की। बिम्सटेक ने पिछले एक दशक में बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में क्षेत्रीय विकास, संपर्क और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के रणनीतिक महत्व पर भी जोर दिया। पीएम ने कहा,आज हमने अपने संबंधों को रणनीतिक स्तर की साझेदारी तक बढ़ाने का फैसला किया है। हम अपनी सुरक्षा एजेंसियों के बीच रणनीतिक संवाद स्थापित करने पर भी सहमत हुए हैं। पीएम ने दोनों देशों के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंधों पर भी प्रकाश डाला और 18वीं सदी के रामायण भित्ति चित्रों पर आधारित एक विशेष डाक टिकट जारी करने के लिए थाई प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनावात्रा का आभार व्यक्त किया। सहयोग और मजबूत करने के लिए चर्चाओं में शामिल होने के लिए उत्सुकउन्होंने कहा,मैं बिम्सटेक देशों के नेताओं से मिलने और हमारे लोगों के हितों को सबसे आगे रखते हुए हमारे सहयोग को और मजबूत करने के लिए सार्थक चर्चाओं में शामिल होने के लिए उत्सुक हूं।पीएम के स्वागत के लिए थाईलैंड  के पीएम ने रॉयल हाउस का दरवाजा खोला। इस मौके पर पीएम को थाई पीएम की ओर से द वर्ल्ड टिपिटका: सज्जया ध्वन्यात्मक संस्करण भेंट किया गया। 

साथियों बात अगर हम बिम्सटेक को अतीत के झरोखे से देखें तो,बिम्सटेक का पूरा नाम बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (बिमस्टेक) है। यह एक क्षेत्रीय संगठन है जिसमें बंगाल की खाड़ी के आसपास स्थित सात सदस्य देश शामिल हैं। इस उप-क्षेत्रीय संगठन की स्थापना 6 जून 1997 को बैंकॉक घोषणा के माध्यम से की गई थी। सात सदस्य देशों में दक्षिण एशिया के पांच देश- बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका- और दक्षिण-पूर्व एशिया के दो देश- म्यांमार और थाईलैंड शामिल हैं। मूल रूप से, इस ब्लॉक की शुरुआत चार सदस्य देशों के साथ हुई थी, जिसका नाम बिमस्टेक (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग) था।22 दिसंबर 1997 को, म्यांमार बैंकॉक में एक विशेष मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान शामिल हुआ, जिसके परिणामस्वरूप समूह का नाम बदलकर 'बिमस्टेक (बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग) कर दिया गया। छठी मंत्रिस्तरीय बैठक (फरवरी 2004, थाईलैंड) में नेपाल और भूटान को शामिल करने के परिणामस्वरूप संगठन का वर्तमान नाम 'बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल' (बिमस्टेक) रखा गया। बिम्सटेक के सदस्य देश व्यापार, निवेश और विकास; कृषि, मत्स्य पालन और पशुधन; पर्यटन; सुरक्षा; पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन; और विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग करते हैं। थाईलैंड 2022 से अध्यक्ष है और बांग्लादेश अगले स्थान पर है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि 6 वाँ बिम्सटेक शिखर सम्मेलन थाईलैंड 2025 में भारत का आगाज़ भारत व थाईलैंड संबंधों को रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने पर सहमत- प्रमुख क्षेत्रों में समझौतों पर हस्ताक्षर 

दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की निष्क्रियता, अमेरिका चीन में मची खींचतान, बांग्लादेश चीन संबंधों के बीच भारत के लिए बिम्सटेक अति महत्वपूर्ण हैं।


 *-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र 9284141425*

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