इंदौर , फर्जी दस्तावेजों के जरिए धोखाधड़ी के एक मामले में इंदौर हाई कोर्ट ने कहा, सिर्फ हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर कूटरचित दस्तावेज बनाने से जुड़ी धाराएं नहीं हटाई जा सकतीं।
इंदौर , फर्जी दस्तावेजों के जरिए धोखाधड़ी के एक मामले में इंदौर हाई कोर्ट ने कहा, सिर्फ हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर कूटरचित दस्तावेज बनाने से जुड़ी धाराएं नहीं हटाई जा सकतीं। गवाहों के बयान सहित अन्य दस्तावेजों का भी पूरा विश्लेषण जरूरी है। धार के पीथमपुर थाने से जुड़े मामले में जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की कोर्ट ने निचली अदालत को धोखाधड़ी की अहम धाराएं जोडऩे और सेशन कोर्ट में सुनवाई के आदेश दिए। एडवोकेट आयुष पांडे व अंशुल राजपूरोहित के मुताबिक, धार निवासी गोविंद यादव ने पीथमपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उन्होंने विनोद पंवार से मकान बनाने के लिए करीब १० लाख रुपए का लोन लिया था। इसके एवज में विनोद ने एक हजार रुपए का खाली स्टाम्प और कुछ चेक भी लिए थे। निर्धारित समय के बाद गोविंद ने लोन चुका दिया तो विनोद ने कहा मकान मेरे नाम हो चुका है, अब पैसे नहीं लूंगा। स्टाम्प पर मकान विनोद पंवार के नाम होने की बातें फर्जी रूप से लिखी गई थीं। पुलिस ने भादवि की धारा ४२०, ४६७, 4६८ और ४७१ में केस दर्ज चालान पेश किया था। गोविंद का आरोप था, गोविंद ने फर्जी दस्तावेज बनाए हैं,