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पानी का झगड़ा-पाकिस्तान में गृह युद्ध छिड़ा -बलूचिस्तान व सिंध आज़ादी पर अड़ा

 पानी का झगड़ा-पाकिस्तान में गृह युद्ध छिड़ा -बलूचिस्तान व सिंध आज़ादी पर अड़ा

भारत के साथ संघर्ष में उलझे पाक हुकुमरानों को बुरी खबर आई-खैबरपख्तून,बलूचिस्तान व सिंध ने उग्र तेवरों में आज़ादी की आवाज उठाई- गृहमंत्री का घर जलाने की स्थिति आई 


भारत से तनाव के बीच पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अलग सिंधु देश बनाने की मांग पर जबरदस्त आंदोलन में प्रदर्शन का आगाज़ 1972 से ही शुरू है- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 

गोंदिया- वैश्विक स्तरपर अगर दशकों पूर्व के इतिहास पर नजर डालें तो अनेकों ऐसे देश मिलेंगे जो पहले अखंड देश थे फिर इन्हींदेशों क़े राजनीतिक स्वार्थ के चलते गृह युद्ध होते रहे, व देश टूटते रहे, जिसका सटीक उदाहरण अखंड रूस, अखंड भारत है। अखंड भारत को देखें तो उनमें वर्तमान कुछ देशों के साथ पाकिस्तान भी इसमें शामिल था, जिसे लॉर्ड माउंटबेटन ने प्रक्रियात्मक तरीके से नेताओं के आपसी बातचीत से अलग कर दिया,जबकि 1912 के में सिंध गुजरात व मुंबई बॉम्बे प्रेसीडेंसी के अंतर्गत आते थे। फिर 1928 में अंग्रेजों की सरकार के सामने अलग सिंध प्रांत बनाने की मांग की गई जिसकी कमेटी बनाकर सिफारिश पेश की गई।फिर 1936 में मुंबई प्रेसिडेंसी से अलग कर सिंध को एक राज्य बना दिया गया, हालांकि मुंबई प्रेसिडेंसी में बहुमत हिंदुओं का था, व बाकी मुस्लिम जैन सिख इसाई अपेक्षाकृत कम जनसंख्या में थे। फिर 1941 में सिंध राज्य में मुस्लिम आबादी 72परसेंट व हिंदू आबादी 26 पेर्सेंट हो गई यानें जो मुंबई प्रेसिडेंसी बहुसंख्यक में थे वह सिंध राज्य बनने में अल्पसंख्यक में हो गए। 1947 में लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत के बंटवारे को मंजूरी दी, फिर 26 जून 1947 को सिंध विधानसभा ने पाकिस्तान में मिलने का फैसला किया, फिर बंटवारे के बाद 1947-48 में 2 लाख़ हिंदुओं का नरसिंहार किया गया। यानें नेताओं ने अगर मुंबई प्रेसिडेंसी जिसमें गुजरात मुंबई व सिंध शामिल थे, जिसमें बहुमत हिंदुओं का था,को कायम रखने का निर्णय लेते तो आज पूरा सिंध भारत का एक हिस्सा होता। आज हम इस ऐतिहासिक विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि पाक में खैबरपख्तून, बलूचिस्तान के बाद अब सिंध प्रांत भी आजादी के लिए तीव्रता से आंदोलन कर रहा है। हालांकि यह आंदोलन जी एम साईद, नेता ने 1972 से ही शुरू किया था।परंतु अभी सिंध में 176 किलोमीटर लंबी  पानी की 6 नई  नहरें सिंधु से निकलकर पंजाब भेजने के लिए चेलिस्तान नहर प्रोजेक्ट चल रहा है,जो आज की चिंगारी है तो, दूसरा भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करना भी पानी की त्राहिमाम मचाने में से एक कारण है।चूँकि भारत से तनाव के बीच पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अलग सिंधु देश बनाने की मांग पर जबरदस्त आंदोलन व प्रदर्शन का आगाज जो 1972 से ही चल रहा है तथा भारत के साथ संघर्ष में उलझे पाकिस्तान हुकुमरनों को बुरी खबर आई खबर, पाकिस्तान बलूचिस्तान सिंध की आजादी के लिए उग्र आज उठाई जा रही है,गृहमंत्री का घर ज़लाने की स्थिति आई इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्धजानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे पानी का झगड़ा,पाकिस्तान में गृह युद्ध छिड़ा, बलूचिस्तान व सिंध आजादी पर पड़ा। 

साथियों बात अगर हम पाक़ में सिंध की आजादी के लिए तीव्र आंदोलन चलने की करें तो, भारत से तनाव के बीच पाक के सिंध प्रांत में अलग सिंधुदेश बनाने के लिए जोरदार प्रदर्शन शुरू हो गया है। लोग आपदा में अवसर तलाशने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि भारत के हमले का इंतजार कर रहे हैं, ताकि अलग अलग प्रांत के लिए पाकिस्तान से टूटकर अलग देश का निर्माण कर सकें। सिंधुदेश की मांग का मतलब सिंधियों के लिए अलग मातृभूमि का निर्माण करना है, जहां लोगों के साथ कोई भेदभाव ना हो और पाक की सेना उन्हें टॉर्चर ना करे। माना जा रहा है कि सिंधुदेश के निर्माण की मांग पाकिस्तान की सेना की दमनकारी नीतियों का परिणाम है,जिसपर पाकिस्तानी पंजाबियों का कंट्रोल है।भारत के साथ संघर्ष में उलझे पाक को घरेलू मोर्चे पर एक और बुरी खबर मिली है। पाकिस्तान में बलोच के बाद अब सिंध प्रदेश में आजादी की मांग उठने लगी है। सिंध में कई लोगों ने अपने अधिकारों और स्वतंत्रता की मांग को लेकर आंदालेन शुरू कर दिया है। सिंधु देश की वकालत करने वाले एक प्रमुख समूह ने हाल में बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। इसमें लापता सिंधी राष्ट्रवादियों की रिहाई की मांग की गई। इस दौरान मानवाधिकार के मुद्दे को भी उठाया गया। सिंध प्रांत में आजादी क मांग बलूचिस्तान की तरह ही तेज हो गई है। जय सिंध फ्रीडम मूवमेंट ने एक शांतिपूर्वक धरने का आयोजन किया। इस प्रदार्शन के दौरान लापता और जेलों में बंद राष्ट्रवादियों की रिहाई की मांग की गई। प्रदर्शन कारियों ने सिंधऔरबलूचिस्तान में होने वाले मानवाधिकार उल्लंघनों को वैश्विक स्तर पर उजागर करने की अपील की। सिंध के लोगों को सरकारी नौकरी तभी मिल सकती है, जब उन्हें ऊर्दू आए। इन घटनाओं ने सिंधियों के बीच अलगाव की भावना को लगातार भड़काया है। विभाजन के बाद जो हिंदू भागकर भारत आ गये, उसका लाभ भी सिंध के लोगों को नहीं हुआ,क्योंकि उनकी संपत्तियों पर मुहाजिरों का कब्जा हो गया। इसके अलावा भारत से गये मुसलमानों को ऊर्दू आती थी, लिहाजा उन्होंने सिंध प्रांत के प्रशासन पर अपना कब्जा कर लिया। 

साथियों बात अगर हम सिंध के नाराज होने की असली वजह की करें तो, चोलिस्तान नहर प्रोजेक्ट तो इस आग की चिंगारी है, चोलिस्तान नहर प्रोजेक्ट- सिंधु नदी, जिसे पाकिस्तान की लाइफलाइन कहते हैं, उसका पानी पंजाब के चोलिस्तान रेगिस्तान में ले जाने के लिए पाकिस्तान की केंद्र सरकार और सेना ने 176 किलोमीटर लंबी छह नहरें बनाने की योजना बनाई, लेकिन सिंध के लोग इसे अपने लिए खतरा मानते हैं, क्योंकि सिंध की खेती, वहां के किसान, और लाखों लोगों की रोजी-रोटी इसी सिंधु नदी पर टिकी है, अगर ये पानी पंजाब की ओर डायवर्ट हुआ तो सिंध में सूखा पड़ सकता है, फसलें बर्बाद हो सकती हैं और पूरा इलाका रेगिस्तान बन सकता है, सिंध के लोगों ने सड़कों पर उतरकर इसी प्रोजेक्ट का विरोध किया। सिंध के किसानों को डर है कि उनकी फसलें मर जाएंगी, उनके बच्चे भूखे रह जाएंगे, और ये सिर्फ किसानों की बात नहीं है-राजनीतिक दल, धार्मिक संगठन, वकील, और एक्टिविस्ट, सब इस विरोध में शामिल हैं।हिंसा और राजनीतिक अराजकता चोलिस्तान नहर प्रोजेक्ट के खिलाफ सिंध में महीनों से प्रदर्शन चल रहे थे, पिछले महीने पाकिस्तान की काउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट्स ने इस प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया था, लेकिन सिंध के लोग कहते हैं, हमें भरोसा नहीं, हमें लिखित में चाहिए कि ये प्रोजेक्ट पूरी तरह बंद हो,और जब केंद्र सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी तो गुस्सा फूट पड़ा, 21 मई 2025 को प्रदर्शनकारियों ने गृह राज्यमंत्री का घर तक फूंक डाला, देखा जाए तो ये जल संग्राम सिर्फ पानी की लड़ाई नहीं है. सिंध में आजादी की आवाजें भी बुलंद हो रही हैं।जय सिंध फ्रीडम मूवमेंट  ने 17 मई को बड़े प्रदर्शन किए, जिसमें लोग सिंध की स्वायत्तता और पाक सेना के खिलाफ नारे लगा रहे थे, बलूचिस्तान में पहले से आजादी का आंदोलन चल रहा है और अब सिंध भी उसी रास्ते पर है।सिंध में भी हो रही है आज़ादी की मांगखबरों के मुताबिक सिंध प्रांत में पानी की किल्लत को लेकर लोग लंबे समय से नाराज हैं, हालांकि इस वक्त सिंध प्रांत में जिस तरह का माहौल है, उसे देखते हुए इस तरह घटना को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, यहां पर शांतिपूर्ण आंदोलन और प्रदर्शनों के ज़रिये ही सही लेकिन लोग पाकिस्तान से अलग होने की मांग कर रहे हैं,ज़ेएसएफ एम यानि जय सिंध फ्रीडम मूवमेंट के लोगों ने हाल ही में पाकिस्तान के मुख्य हाईवे पर इस मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया था, जिसमें सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया था।

साथियों बात अगर हम पाक में जल संकट के दौर में भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित कर दोनों तरफ से मार की करें तो, पाकिस्तान टूडे के मुताबिक सिंध प्रांत पहले से ही जल संकट का सामना कर रहा है। 1999 से 2023 के बीच, सिंध को औसतन 40 परसेंट जल की कमी का सामना करना पड़ा था, जबकि पंजाब में यह कमी 15 पेर्सेंट थी। इस जल संकट के कारण 2.5 मिलियन एकड़ आम के बागान और अन्य फसलें सूखने की कगार पर हैं। इसके अलावा, समुद्री जल के अतिक्रमण से तटीय क्षेत्रों की कृषि भूमि भी प्रभावित हो रही है। सिंध में विभिन्न राजनीतिक दलों, नागरिक संगठनों और किसान संघों ने विरोध प्रदर्शन किए हैं।पी पीपी पार्टी लरकाना से ठट्टा तक रैलियों का आयोजन किया, जबकि सिंध यूनाइटेड पार्टी, सिंध अबादगार इत्तेहाद और जेय सिंध कौमी महाज जैसे संगठनों ने भी विरोध में भाग लिया है। 

साथियों बातें कर हम गृहमंत्री का घर जलाने वाली गंभीर घटना की करें तो, पाकिस्तान के सिंध प्रांत में पानी को लेकर जबरदस्त हिंसा की गई है। पानी को लेकर कई हफ्तों से चल रहा ये बवाल अब हिंसक हो चुका है।मीडिया के मुताबिक मंगलवार को सिंध प्रांत के गृहमंत्री  के गृह जिले नौशहरो फिरोज के मोरो शहर में हुई झड़पों के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। इसके अलावा सिंध प्रांत के गृहमंत्री के घर को प्रदर्शनाकियों ने जला दिया है, और अराजकता का माहौल देखने को मिल रहा है। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे किपानी का झगड़ा- पाकिस्तान में गृह युद्ध छिड़ा-बलूचिस्तान व सिंध आज़ादी पर अड़ा भारत के साथ संघर्ष में उलझे पाक हुकुमरानों को बुरी खबर आई-खैबरपख्तून बलूचिस्तान व सिंध ने उग्र तेवरों मेंआज़ादी की आवाज उठाई-गृहमंत्री का घर जलाने की स्थिति आई l।भारत से तनाव के बीच पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अलग सिंधु देश बनाने की मांग पर जबरदस्त आंदोलन में प्रदर्शन का आगाज़ 1972 से ही शुरू है।


*-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र 9284141425*

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